प्रभुजी तुम चन्दन हम पानी भजन जगजीत सिंह
प्रभुजी तुम घन बन हम मोरा,
जैसे चितवत चन्द चकोरा।
प्रभुजी तुम दीपक हम बाती,
जाकी जोति बरै दिन राती।
प्रभुजी तुम मोती हम धागा,
जैसे सोने मिलत सुहागा।
प्रभुजी तुम स्वामी हम दासा,
ऐसी भक्ति करै रैदासा।
-संत रविदास (रैदास) जी
Prabhuji Tum Chandan Ham Pani-Jagjit Sing
Prabhuji Tum Chandan Ham Pani bhajan from album Hey gobind Hey gopal by Jagjeet singh and chitra singh
Singer : Jagjeet Singh
भगवान चंदन है, जो अपनी सुगंध से हर अंग को सुगंधित करता है। वे घन (बादल) जैसे हैं, जो मोर को आनंदित करते हैं, जैसे चकोर चंद्रमा को निहारता है। भगवान दीपक हैं, जिनकी ज्योति दिन-रात जलती रहती है। वे मोती हैं, जो धागे में पिरोकर और सुहागा सोने में मिलकर पूर्णता पाते हैं। भगवान स्वामी हैं, सर्वोच्च और सर्वशक्तिमान, जिनके सामने रैदास जैसे भक्त अपनी दासता को गर्व से स्वीकार करते हैं। यह भजन भगवान की सर्वव्यापी महिमा, उनके प्रकाश, सुंदरता और कृपा का गान करता है, जो सृष्टि को पूर्णता और आनंद प्रदान करते हैं। जैसे पानी चन्दन से घिसने पर उसकी महक से भर जाता है, वैसे ही भक्त का समस्त अस्तित्व प्रभु की भक्ति और प्रेम की सुगंध से व्याप्त हो जाता है। बादलों के साथ मोर का नृत्य इस प्रेम की उल्लासपूर्ण अनुभूति को दर्शाता है, और चंद्रमा को निरंतर निहारता चकोर पक्षी भक्त के मन की निरंतर प्रसन्नता एवं आकर्षण का प्रतीक है। दीपक और बाती की उपमाओं में प्रेम में जलता हुआ भक्त और अपने प्रकाश से निरंतर प्रकाशित प्रभु की अनूठी समर्पित भक्ति दिखाई देती है।
प्रभुजी तुम चन्दन हम पानी,
जिसकी अंग-अंग बास समानी।
अर्थ: प्रभु आप चन्दन हैं और मैं पानी। जैसे पानी में चन्दन की सुगंध हर अंग में फैल जाती है, वैसे ही आपकी भक्ति मेरे पूरे शरीर और आत्मा में व्याप्त है।
प्रभुजी तुम घन बन हम मोरा,
जैसे चितवत चंद चकोरा।
अर्थ: प्रभु आप बादल हैं और मैं वन का मोर हूँ। जैसे मोर बादल की ओर देखकर नाचता है, और चकोर चंद्रमा की ओर दृष्टि गढ़ाए रहता है, वैसे ही मेरा मन सदैव आपकी भक्ति और प्रति लगा रहता है।
प्रभुजी तुम दीपक हम बाती,
जिसकी जोति बरै दिन राती।
अर्थ: प्रभु आप दीपक हैं और मैं उसकी बाती। जैसे बाती स्वयं जलकर दीपक की ज्योति दिन-रात जलाए रखती है, वैसे ही मेरी भक्ति सदैव आपकी दिव्यता को प्रकाशित करती रहती है।
प्रभुजी तुम मोती हम धागा,
जैसे सोने मिलत सुहागा।
अर्थ: प्रभु आप मोती हैं और मैं उस मोती-माला का धागा। जैसे धागा मोती को जोड़ता है, वैसे ही मैं आपके साथ अटूट रूप से बंधा हूँ, और हमारा मेल सोने पर सुहागा पड़ने के समान है।
प्रभुजी तुम स्वामी हम दासा,
ऐसी भक्ति करै रैदासा।
अर्थ: प्रभु आप स्वामी हैं और मैं आपका दास। संत रैदास इस आशय से कहते हैं कि उनकी भक्ति पूरी तरह से समर्पित और नि:स्वार्थ है, वे स्वामी के प्रति पूर्ण निष्ठा और सेवा भावना रखते हैं।
