इस भजन का मूल सन्देश यह है कि अभिमान एक ऐसी बुराई है जो मनुष्य को नष्ट कर देती है। अभिमानी व्यक्ति को अंत में अकेला रहना पड़ता है, उसकी कोई भी उपलब्धि स्थायी नहीं होती है, और उसका जीवन व्यर्थ चला जाता है। हमें अपने अभिमान को त्याग देना चाहिए और दूसरों का सम्मान करना चाहिए।
माटी में मिले माटी पानी में पानी लिरिक्स
माटी में मिले माटी पानी में पानी, अरे अभिमानी अरे अभिमानी, पानी का बुलबला जैसा तेरी ज़िंदगानी, अरे अभिमानी, अरे अभिमानी।
भाई बंध तेरे काम ना आवे, कुटुंब कबीला तेरे साथ ना जावे, संग ना चलेंगे तेरे कोई भी प्राणी, अरे अभिमानी, अरे अभिमानी।
रही ना निशानी राजा वजीरों की, इक इक ठाठ जिनके लाख लाख हीरो की, ढाई ग़ज कपड़ा डोली पड़ेगी उठानी, अरे अभिमानी, अरे अभिमानी।
खाना और पीना तो पशुओं का काम है, दो घडी सत्संग न किया करता अभिमान है, बीती जाये यु ही तेरी ज़िंदगानी, अरे अभिमानी, अरे अभिमानी।
करले भलाई जग में काम तेरे आएगी, जायेगा जहां से जब साथ तेरे जायेगे, कहे बिंदु शर्मा अपनी छोटी सी कहानी,
अरे अभिमानी, अरे अभिमानी।
माटी में मिले माटी पानी में पानी, अरे अभिमानी अरे अभिमानी, पानी का बुलबला जैसा तेरी ज़िंदगानी, अरे अभिमानी, अरे अभिमानी।
कबीर साहेब ने विनम्रता के महत्व पर जोर दिया और अहंकार से होने वाले खतरों के प्रति लोगों को सचेत किया। कबीर साहेब के अनुसार, अहंकार या अभिमान (अहंकार) आध्यात्मिक प्राप्ति के लिए सबसे बड़ी बाधा है और समस्त दुखों का एक स्रोत है। जब हम अहंकारी हो जाते हैं, तो हम अपने अहंकार से अंधे हो जाते हैं और उस सत्य को नज़रअंदाज़ कर देते हैं और स्वंय को मुख्य मानने लग जाते हैं, ईश्वर को भूल जाते हैं। अहंकार हमें गलतियाँ करने, दूसरों को नुकसान पहुँचाने और अपने और अपने आसपास के लोगों के लिए पीड़ा पैदा करने के लिए प्रेरित करता है।
भकत रामनिवास चेतावनी शब्द mati mein milye mati pani mein pani
इस भजन में कवि बिंदु शर्मा अभिमान के विषय पर बात कर रहे हैं। वे कहते हैं कि अभिमान एक ऐसी बुराई है जो मनुष्य को नष्ट कर देती है। अभिमानी व्यक्ति को लगता है कि वह दूसरों से श्रेष्ठ है, और वह अपने आसपास के लोगों का सम्मान नहीं करता है। यह उसके लिए ही नहीं, बल्कि उसके आसपास के लोगों के लिए भी हानिकारक होता है। कवि इस भजन में अभिमान के कई बुरे परिणामों का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि अभिमानी व्यक्ति को अंत में अकेला रहना पड़ता है। उसके भाई-बंधु, परिवार और मित्र भी उसे छोड़ जाते हैं। वह इस दुनिया में अकेला ही मर जाता है। कवि यह भी कहते हैं कि अभिमानी व्यक्ति की कोई भी उपलब्धि स्थायी नहीं होती है। चाहे वह कितना ही धनी, शक्तिशाली या प्रसिद्ध क्यों न हो, अंत में वह मर जाएगा और उसकी सारी उपलब्धियां मिट जाएंगी। आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं