सारा देखा है ये जहां कृष्णा भजन

सारा देखा है ये जहां कृष्णा भजन

सारा देखा है ये जहाँ,
नही तुमसा कोई यहाँ,
सांवरे तुमसा नही मिला,
कोई भी तुमसा नही दिखा
हारे का तू सहारा,
भक्तो का श्याम प्यारा,
ओ सांवरे तुमसा नही मिला,
कोई भी तुमसा ही दिखा।

महाभारत में तुमने,
शीश का दान दिया था,
दान ले कर केशव ने,
अपना ये नाम दिया था,
भक्तो के कष्ट हरना,
बोले थे ऐसा करना,
ओ सांवरे तुमसा नही मिला,
कोई भी तुमसा ही दिखा।

धन्य है माता पिता वो,
जिन्होंने जनम दिया है,
जिनके आशीष से,
तुमने बर्बरीक कर्म किया है,
घतोचकच्छ थे पिता जी,
माता अहलावती तेरी,
ओ सांवरे तुमसा नही मिला,
कोई भी तुमसा ही दिखा।

हारे का तू है सहारा,
श्याम तू शीश दानी,
तीन बाणों का धारी,
सांवरे तू वर दानी,
संजय गाये महिमा तेरी,
धन्य जिव्हा होए मेरी,
ओ सांवरे तुमसा नही मिला,
कोई भी तुमसा ही दिखा।

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इस संसार की विशालता में, जहाँ अनगिनत रंग, रूप और स्वरूप बिखरे हैं, वहाँ एक ऐसी अनुपम सत्ता है, जो हर भक्त के हृदय में बस्ती है। यह सत्ता वह है, जो हारे हुए को सहारा देती है, जो भक्तों के कष्टों को हर लेती है और उनके जीवन को प्रेम और करुणा से भर देती है। यह प्रेम और शक्ति का संगम इतना गहन है कि भक्त की नजरें हर ओर भटकने के बाद भी उसी एक चेहरे पर ठहरती हैं, जो अनन्य और अनुपम है। भक्त का मन उसकी महिमा में खो जाता है, और वह हर पल उसकी कृपा की छांव में विश्राम पाना चाहता है। यहाँ भक्ति का स्वरूप उस विश्वास में प्रकट होता है, जो हर परिस्थिति में भक्त को थामे रखता है, और उसे जीवन की हर चुनौती से पार पाने की शक्ति देता है।

इस भक्ति की गहराई में एक ऐतिहासिक और पौराणिक संदर्भ भी जुड़ा है, जहाँ त्याग, बलिदान और समर्पण की मिसाल कायम हुई। वह बलिदान, जो महाभारत के युद्ध में शीश दान के रूप में अमर हो गया, और वह प्रेरणा, जो भक्तों को कष्टों से मुक्ति का मार्ग दिखाती है। यहाँ भक्त केवल अपने प्रभु की महिमा का गान नहीं करता, बल्कि उनके माता-पिता के प्रति भी कृतज्ञता व्यक्त करता है, जिन्होंने ऐसी महान आत्मा को जन्म दिया। यह समर्पण और आभार का भाव भक्त के हृदय को और भी पवित्र बनाता है, जहाँ वह अपनी वाणी और कर्म से प्रभु की महिमा को और अधिक बढ़ाना चाहता है। यह भक्ति केवल पूजा तक सीमित नहीं, बल्कि एक जीवन दर्शन है, जो हर भक्त को प्रेम, त्याग और विश्वास की राह पर चलने की प्रेरणा देता है।

कृष्ण नाम जप करने से व्यक्ति के जीवन में अनेक प्रकार के आध्यात्मिक और सांसारिक लाभ होते हैं। पुराणों के अनुसार, कृष्ण नाम का जप सहस्रों अश्वमेध यज्ञों से भी श्रेष्ठ माना गया है क्योंकि इससे जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है और भक्त को परम शांति प्राप्त होती है। कृष्ण मंत्र का नियमित जाप नकारात्मक भावनाओं और कर्मों को दूर करता है, मन को शुद्ध करता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। यह जाप मानसिक तनाव, चिंता और रोगों से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है और भक्त के हृदय में प्रेम, भक्ति और श्रद्धा की वृद्धि करता है। कलियुग में कृष्ण नाम जप एक सरल और प्रभावशाली साधना है, जो भक्त को भगवान के निकट लाकर जीवन को सुखमय और सफल बनाता है। 

Song : Saara Dekha Hai Ye Jha
Singer : Sanjay Gulati

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