पिया बिन सूनो छे जी म्हारो देस

पिया बिन सूनो छे जी म्हारो देस

पिया बिन सूनो छे जी म्हारो देस
ऐसो है कोई पिवकूँ मिलावै, तन मन करूँ सब पेस
तुम्हरे कारण बन बन डोलूँ, कर जोगण रो भेस
अवधि बीती अजहूँ न आये, पंडर हो गया केस
‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, तज दियो नगर नरेस
 
आपने मीराबाई के प्रसिद्ध भजन "पिया बिन सूनो छे जी म्हारो देस" के कुछ पद प्रस्तुत किए हैं। इस भजन में मीराबाई अपने आराध्य श्री कृष्ण के प्रति अपनी गहरी भक्ति और प्रेम को व्यक्त करती हैं। वह कहती हैं कि उनके लिए श्री कृष्ण के बिना उनका देश सुनसान है। वह श्री कृष्ण से मिलकर तन और मन को समर्पित करना चाहती हैं। उन्होंने घर-परिवार और सांसारिक सुखों को छोड़ दिया है, और अब वह संतों के साथ बैठकर श्री कृष्ण के प्रेम में रंगी हुई हैं। वह कहती हैं कि अब तक समय बीत चुका है, लेकिन श्री कृष्ण नहीं आए। अंत में, वह श्री कृष्ण से मिलन की प्रार्थना करती हैं।
 
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