तूने खूब रचा खूब गढ़ा भगवान खिलौना माटी का
खिलौना माटी का,
इसे कोई ना सका पहचान,
खिलौना माटी का।
वाह रे तेरा इंसान विधाता
इसका भेद समझ में ना आता
धरती से है इसका नाता
मगर हवा में किले बनाता
अपनी उलझन आप बढाता
होता खुद हैरान
खिलौना माटी का
तूने खूब रचा खूब गढ़ा,
भगवान खिलौना माटी का।
कभी तो एकदम रिश्ता जोड़े
कभी अचानक ममता तोड़े
होके पराया मुखड़ा मोड़े
अपनों को मझधार में छोड़े
सूरज की खोज में इत उत दौड़े
कितना ये नादान
खिलौना माटी का
तूने खूब रचा खूब गढ़ा,
भगवान खिलौना माटी का।
तूने अजब रचा भगवान खिलौना माटी का,
माटी का रे, माटी का,
माटी का रे, माटी का,
तूने अजब रचा भगवान खिलौना माटी का ।
कान दिए हरी भजन सुनन को,
हो कान दिए हरी भजन सुनन को,
तु मुख से कर गुणगान,
खिलौना माटी का ।
तूने अजब रचा भगवान खिलौना माटी का ।
जीभा दी हरी भजन करन को,
हो जीभा दी हरी भजन करन को,
दी आँखे कर पहचान,
खिलौना माटी का ।
तूने अजब रचा भगवान खिलौना माटी का ।
शीश दिया गुरु चरण झुकन को,
हो शीश दिया गुरु चरण झुकन को,
और हाथ दिए कर दान,
खिलौना माटी का ।
तूने अजब रचा भगवान खिलौना माटी का ।
सत्य नाम का बना का बेडा,
हो सत्य नाम का बना का बेडा,
और उतरे भव से पार,
खिलौना माटी का ।
तूने अजब रचा भगवान खिलौना माटी का ।
इसे कोई ना सका पहचान,
खिलौना माटी का।
वाह रे तेरा इंसान विधाता
इसका भेद समझ में ना आता
धरती से है इसका नाता
मगर हवा में किले बनाता
अपनी उलझन आप बढाता
होता खुद हैरान
खिलौना माटी का
तूने खूब रचा खूब गढ़ा,
भगवान खिलौना माटी का।
कभी तो एकदम रिश्ता जोड़े
कभी अचानक ममता तोड़े
होके पराया मुखड़ा मोड़े
अपनों को मझधार में छोड़े
सूरज की खोज में इत उत दौड़े
कितना ये नादान
खिलौना माटी का
तूने खूब रचा खूब गढ़ा,
भगवान खिलौना माटी का।
तूने अजब रचा भगवान खिलौना माटी का,
माटी का रे, माटी का,
माटी का रे, माटी का,
तूने अजब रचा भगवान खिलौना माटी का ।
कान दिए हरी भजन सुनन को,
हो कान दिए हरी भजन सुनन को,
तु मुख से कर गुणगान,
खिलौना माटी का ।
तूने अजब रचा भगवान खिलौना माटी का ।
जीभा दी हरी भजन करन को,
हो जीभा दी हरी भजन करन को,
दी आँखे कर पहचान,
खिलौना माटी का ।
तूने अजब रचा भगवान खिलौना माटी का ।
शीश दिया गुरु चरण झुकन को,
हो शीश दिया गुरु चरण झुकन को,
और हाथ दिए कर दान,
खिलौना माटी का ।
तूने अजब रचा भगवान खिलौना माटी का ।
सत्य नाम का बना का बेडा,
हो सत्य नाम का बना का बेडा,
और उतरे भव से पार,
खिलौना माटी का ।
तूने अजब रचा भगवान खिलौना माटी का ।
tune khub racha bhagwan khilona mati ka
ise koi na saka pehchan khilona mati ka
tune khub racha bhagwan khilona mati ka
tune khoob racha bhagwan khilona maati ka_Nagmani_Nirupa Roy_ Geeta Dutt_Pradeep_Avinash Vyas_a tri.
"खिलौना माटी का" एक हिंदी फिल्म गीत है जिसे कवि प्रदीप ने लिखा था और जिसे 1957 की फिल्म नागमणी के लिए संगीतकार अविनाश व्यास ने संगीत दिया था। इसे गीता दत्त ने गाया था। यह गीत एक व्यक्ति के बारे में है जो मनुष्य की सीमाओं और अनिश्चितताओं पर विचार कर रहा है। वह कहता है कि इंसान एक माटी का खिलौना है, जिसे भगवान ने बनाया है। वह कहता है कि इंसान की समझ सीमित है, और वह अक्सर अपने ही द्वारा बनाई गई समस्याओं में फंस जाता है।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं एक विशेषज्ञ के रूप में रोचक जानकारियों और टिप्स साझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |
