भोले नीलकंठ पर बैठे पी गए अमृत भंगिया
भोले नीलकंठ पर बैठे, पी गए अमृत भंगिया। अमृत भंगिया पी गए, हरि-हरि भंगिया, भोले नीलकंठ पर बैठे, पी गए अमृत भंगिया। ब्रह्मा आ गए, विष्णु आ गए, आ गए सांवरिया, भोलेनाथ गौरा संग आ गए, घोंटे भंगिया। भोले नीलकंठ पर बैठे, पी गए अमृत भंगिया। ब्रह्मा पी गए, विष्णु पी गए, पी गए सांवरिया, भोलेनाथ ने इतनी पिलाई, मूंद गई अखियां। भोले नीलकंठ पर बैठे, पी गए अमृत भंगिया। ब्रह्मा को चढ़ गई, विष्णु को चढ़ गई, चढ़ गई सांवरिया, भोलेनाथ को ऐसी चढ़ गई, आ गई निंदिया। भोले नीलकंठ पर बैठे, पी गए अमृत भंगिया। ब्रह्मा नाचे, विष्णु नाचे, नाचे सांवरिया, भोलेनाथ तो ऐसे नाचे, खुल गई लटिया। भोले नीलकंठ पर बैठे, पी गए अमृत भंगिया। ब्रह्मा की उतरी, विष्णु की उतरी, उतरी सांवरिया, भोलेनाथ की ऐसी उतरी, खुल गई निंदिया। भोले नीलकंठ पर बैठे, पी गए अमृत भंगिया।
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Author - Saroj Jangir
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