चालो मन गंगा जमुना तीर लिरिक्स Chalo Man Ganga Jamuna Teer Lyrics
चालो मन गंगा जमुना तीर लिरिक्स Chalo Man Ganga Jamuna Teer Lyrics Meera Bhajan मीरा भजन
चालो मन गंगा जमुना तीर।
गंगा जमुना निरमल पाणी सीतल होत सरीर।
बंसी बजावत गावत कान्हो संग लियो बलबीर।।
मोर मुगट पीताम्बर सोहे कुण्डल झलकत हीर।
मीराके प्रभु गिरधर नागर चरण कंवल पर सीर।
Chaalo Man Ganga Jamuna Teer.
Ganga Jamuna Niramal Paanee Seetal Hot Sareer.
Bansee Bajaavat Gaavat Kaanho Sang Liyo Balabeer..
Mor Mugat Peetaambar Sohe Kundal Jhalakat Heer.
Meeraake Prabhu Giradhar Naagar Charan Kanval Par Seer.
चालो मन गंगा जमुना तीर
मीराबाई की यह कविता कृष्ण भक्ति की एक उत्कृष्ट रचना है। इस कविता में, मीराबाई अपने मन को कृष्ण से मिलने के लिए गंगा जमुना के तीर चलने का आग्रह करती हैं। वह कहती हैं कि गंगा जमुना का निर्मल पानी उनके शरीर को ठंडक देगा, और कृष्ण की बांसुरी की मधुर ध्वनि और उनके प्रेम भरे गायन से उनका मन प्रफुल्लित हो जाएगा। वह कृष्ण के रूप का वर्णन करती हैं, जिनके सिर पर मोर का मुकुट है, पीतांबर पहने हुए हैं, और जिनके कानों में हीरे के कुंडल झलक रहे हैं। वह कहती हैं कि उनके प्रभु गिरधर नागर के चरण कमल के समान हैं, और वह उन पर अपना सिर रखना चाहती हैं।
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