गुरु बिन घोर अंधार गुरु बिन समझ न आवै
गुरु बिन घोर अंधार गुरु बिन समझ न आवै
गुर बिन सुरत न सिद्ध गुरु बिन मुकत (मुक्ति) न पावे
गुरु बिन घोर अंधार गुरु बिन समझ न आवै
गुर कर सच बिचार गुरु कर रे मन मेरे
गुर कर शबद सपून अगन कटे सब तेरे
गुरु बिन घोर अंधार गुरु बिन समझ न आवै
गुर नयन बयण गुर, गुर करो गुरु सत कवनल कह
जिन गुरु न देखियो नोह् कियो ते अकथह संसार मे
गुरु बिन घोर अंधार गुरु बिन समझ न आवै
Gur Bin Ghor Andhaar Guru Bin Samjh Na Aavae
Gur Bin Surat Na Sidh Guru Bin Mukut Na Paavae
Gur Bin Ghor Andhaar Guru Bin Samjh Na Aavae
Gur Kar Sach Beechaar Guru Kar Re Mann Mere
Gur Kar Shabad Sapun Agan Kate Sab Tere
Gur Bin Ghor Andhaar Guru Bin Samjh Na Aavae
Gur Nayan Bayan Gur Gur Karo Guru Sat Kawnal Keh
Jin Guru Na Dekhiyo Neh Kiyo Te Akiyath Sansar Meh
Gur Bin Ghor Andhaar Guru Bin Samjh Na Aavae
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Author - Saroj Jangir
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