हरी जियो हरी जियो निमणिया तू माण भजन
हरी जियो हरी जियो निमणिया तू माण ,
निचीजियाँ चीज करे मेरा गोविन्द,
तेरी कुदरत को क़ुर्बाणं ,
तेरी कुदरत क्यों कुर्बान,
हरी जियो हरी जियो निमणिया तू माण,
गई बोहड़ बंदी छोड़ निरकारु दुख्दारी,
करमु न जाण धरम न जाणा लोभी मायाधारी,
नाम परेऊ भगत गोविन्द का एह राख हु पेठ तुम्हारी,
एह राख हु पेठ तुम्हारी,
हरी जियो हरी जियो निमणिया तू माण
जेसा बालकु भाई सुभाई लख अपराध कमावे,
करी उपदेश झिडके बहु भाती भुड़ी पिता गिल लावे,
पिछले औगुन बखसी लये प्रभु आगे मार्गि पावे,
प्रभु आगे मार्गि पावे,
हरी जियो हरी जियो निमणिया तू माण
हरी अंतरयामी सब विधि जाने ता किशु पहि आखी सुनाये,
काहने कथिन न भीजे गोविन्द हरी भावे पेज रखाइये,
अवर ओट मैं सगली देखि एक तेरी ओत रहाइये.
एक तेरी ओत रहाइये
हरी जियो हरी जियो निमणिया तू माण
हरी जियो हरी जियो निमणिया तू माण
Haree Jiyo Haree Jiyo Nimaniya Too Maan ,
Nicheejiyaan Cheej Kare Mera Govind,
Teree Kudarat Ko Qurbaanan ,
Teree Kudarat Kyon Kurbaan,
Haree Jiyo Haree Jiyo Nimaniya Too Maan,
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हरी जियो हरी जियो निमणिया तू माण