हाती घोडा महाल खजीना दे दवलत पर लात रे। हातीं घोडा महाल खजीना दे दवलत पर लात रे करीयो प्रभुजीकी बात सबदीन करीयो प्रभूजी की बात हातीं घोडा महाल खजीना दे दवलत पर लात रे मा बाप और बेहेन भाईं कोई नही आयो सात रे हातीं घोडा महाल खजीना दे दवलत पर लात रे मीरा के प्रभु गिरिधर नागर भजन करो दिन रात रे हातीं घोडा महाल खजीना दे दवलतपर लात रे
हाथी घोड़ा महल खजाना, दे दौलत पर लात रे। हाथी, घोड़े, महल, खजाना—इन सभी सांसारिक संपत्तियों को त्याग दो।
करियो प्रभुजी की बात, सब दिन करियो प्रभुजी की बात। सदा प्रभु की बात मानो और उनकी सेवा करो।
माँ बाप और बहन भाई, कोई नहीं आयो साथ रे। माता-पिता, बहन-भाई—कोई भी अंत समय में साथ नहीं आता।
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर, भजन करो दिन रात रे। मीराबाई के प्रभु गिरिधर नागर (कृष्ण) हैं; दिन-रात उनका भजन करो।
इस भजन का सार यह है कि सांसारिक संपत्ति और संबंध नश्वर हैं; केवल प्रभु भक्ति ही शाश्वत है। इसलिए, हमें सांसारिक मोह-माया को त्यागकर प्रभु की भक्ति में लीन होना चाहिए।