हे शिव मेरे अपनी करुणा मुझपर भी बरसा लिरिक्स He Shiv Mere Apni Karuna Mujhpar Bhi Barsa Lyrics

हे शिव मेरे अपनी करुणा मुझपर भी बरसा लिरिक्स He Shiv Mere Apni Karuna Mujhpar Bhi Barsa Lyrics

 
हे शिव मेरे अपनी करुणा मुझपर भी बरसा लिरिक्स He Shiv Mere Apni Karuna Mujhpar Bhi Barsa Lyrics

हे शिव मेरे अपनी करुणा
मुझपर भी बरसा
तन को तीरथ मन को
पावन गंगा घाट बना
सबका दुःख अपना दुःख समझूँ
धर्म यही हो मेरा
अवगुण सारे गुण में बदलूँ
कर्म यही हो मेरा
हे भगवान् मेरे कर्मों को
चन्दन सा महका
तन को तीरथ मन को
पावन गंगा घाट बना
मृग तृष्णा के पीछे पीछे
में तो हरदम भागा
जीवन का कुछ अर्थ ना समझा
देर से में तो जागा
इससे पहले टूट ना जाये
सांसों का धागा
तन को तीरथ मन को
पावन गंगा घाट बना
हम हैं मानव हो जाती है
हमसे भूल कभी
जब पछताए आ जाते हैं
हम तो शरण तेरी
हर लेते हो पलभर में तुम
मन का दुःख सारा
तन को तीरथ मन को
पावन गंगा घाट बना
तुमसे केवल में तो इतना
मांग रहा हूँ दाता
जन्म जन्म तक रखना मुझसे
प्रेम भरा ये नाता
हो जाये हर जन्म सफल
तू ऐसी राह दिखा
तन को तीरथ मन को
पावन गंगा घाट बना
तुम तो जानो घट घट वासी
हर मन की हर भाषा
धन्य हो मेरा जन्म जो पूरी
कर दो ये अभिलाषा
लगूं कंठ से बनकर तेरे
में रुद्राक्ष तेरा
तन को तीरथ मन को
पावन गंगा घाट बना 
 

℗ Super Cassettes Industries Limited

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2 Comments
  • Unknown
    Unknown 7/29/2019

    बहुत ही सुन्दर शिवसम्बन्धी बातों का और रहस्यों का उद्घाटन करता है यह लेख ।

  • Unknown
    Unknown 7/29/2019

    शिवजी के जो १०८ नाम और उनका मन्त्ररूप में परिवर्तन है वह सुधार करने लायक है । उन नामों में से बहुत से नाम कपोलकल्पित और अप्रामाणिक हैं । मन्त्रः के स्वरूप के लिए संस्कृतभाषा के व्याकरणगत नियमों के अनुसार नमः शब्द के योग में नमनीय के वाचक पदं को चतुर्थीविभक्ति के रूप में झाला जाता है । यहां उस नियम का उल्लंघन होने के कारण ये नाम और उनकी मन्त्ररूपता अप्रामाणिक है ।

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