पवित्र गुरु ग्रन्थ साहिब में सौ से अधिक बार इस मूल मन्त्र का वर्णन किया गया है, जिसे अत्यंत ही पवित्र और दिव्य माना जाता है. आदि गुरु ग्रन्थ साहिब का सर्वप्रथम छंद भी यही है. इस ग्रन्थ के सम्पादन का कार्य पूज्य गुरु अंगद देव जी ने किया है.
इक्क ओंकार सत नाम करता पुरख निरभऊ निरबैर अकाल मूरत अजूनी सैभं गुर प्रसाद ॥
आदि सच सच जुगादी सच , है भी सच , नानक होसी भी सच सोचै सोचि न होवई जे सोची लख वार ॥ चुपै चुप न होवई जे लाइ रहा लिव तार भुखिया भूख न उतरि जे बन्ना पुरिआ भार। सहस सिआणपा लख होहि त इक न चलै नालि किव सचिआरा होइये किव कूड़े तुटे पालि। हुकुमि रजाई चलना नानक लीखिया नालि।
Ikk Onkaar Sat Naam Karata Purakh Nirabhoo Nirabair Akaal Moorat Ajoonee Saibhan Gur Prasaad . Aadi Sach Sach Jugaadee Sach , Hai Bhee Sach , Naanak Hosee Bhee Sach Sochai Sochi Na Hovee Je Sochee Lakh Vaar . Chupai Chup Na Hovee Je Lai Raha Liv Taar Bhukhiya Bhookh Na Utari Je Banna Puria Bhaar . Sahas Siaanapa Lakh Hohi Ta Ik Na Chalai Naali Kiv Sachiaara Hoiye Kiv Koode Tute Paali . Hukumi Rajaee Chalana Naanak Leekhiya Naali .
एक परमात्मा, जिसका नाम सत्य है सृजनकर्ता पुरुष निर्भय, द्वेष-रहित अकाल मूर्ति (सनातन छवि) अजन्मा स्वयंभु (स्वयं से उत्पन्न हुआ) गुरु-कृपा से प्राप्त ॥
इस ब्लॉग पर आप पायेंगे मधुर और सुन्दर भजनों का संग्रह । इस ब्लॉग का उद्देश्य आपको सुन्दर भजनों के बोल उपलब्ध करवाना है। आप इस ब्लॉग पर अपने पसंद के गायक और भजन केटेगरी के भजन खोज सकते हैं....अधिक पढ़ें।