काहे री नलिनी तू कुमिलानी Kahe Ri Nalini Tu Kumulini Kabir Bhajan
काहे री नलिनी तू कुमिलानी।
तेरे ही नालि सरोवर पानी॥
जल में उतपति जल में बास,
जल में नलिनी तोर निवास।
ना तलि तपति न ऊपरि आगि,
तोर हेतु कहु कासनि लागि॥
कहे 'कबीर जे उदकि समान,
ते नहिं मुए हमारे जान।
तेरे ही नालि सरोवर पानी॥
जल में उतपति जल में बास,
जल में नलिनी तोर निवास।
ना तलि तपति न ऊपरि आगि,
तोर हेतु कहु कासनि लागि॥
कहे 'कबीर जे उदकि समान,
ते नहिं मुए हमारे जान।
Kaahe Ree Nalinee Too Kumilaanee.
Tere Hee Naali Sarovar Paanee.
Jal Mein Utapati Jal Mein Baas,
Jal Mein Nalinee Tor Nivaas.
Na Tali Tapati Na Oopari Aagi,
Tor Hetu Kahu Kaasani Laagi.
Kahe Kabeer Je Udaki Samaan,
Te Nahin Mue Hamaare Jaan.
Kahe ree nalini tu kumhilani (Kabir) by Vidya Rao ji
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Author - Saroj Jangir
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