क्रोध ना छोड़ा झूंठ ना छोड़ा सत्य वचन क्यो छोड़ दिया
क्रोध ना छोड़ा झूंठ ना छोड़ा
क्रोध ना छोड़ा झूंठ ना छोड़ा
सत्य वचन क्यो छोड़ दिया तूने
नाम जपना क्यो छोड़ दिया
झूठे जग मे जी ललचाकर
असल वतन क्यो छोड़ दिया तूने
क्रोध ना छोड़ा झूंठ ना छोड़ा
क्रोध ना छोड़ा झूंठ ना छोड़ा
क्रोध ना छोड़ा झूंठ ना छोड़ा
सत्य वचन क्यो छोड़ दिया तूने
नाम जपना क्यो छोड़ दिया
कौड़ी को तो खूभ संभाला
लाल रतन क्यो छोड़ दिया
क्रोध ना छोड़ा झूंठ ना छोड़ा
क्रोध ना छोड़ा झूंठ ना छोड़ा
सत्य वचन क्यो छोड़ दिया तूने
नाम जपना क्यो छोड़ दिया
यही सुमिरन ते आती सुख पाओ
सो सुमिरन क्यो छोड़ दिया
क्रोध ना छोड़ा झूंठ ना छोड़ा
क्रोध ना छोड़ा झूंठ ना छोड़ा
सत्य वचन क्यो छोड़ दिया तूने
नाम जपना क्यो छोड़ दिया
कालिस एत भगवान बरोसे
तन मन धन क्यो ना छोड़ दिया तूने
क्रोध ना छोड़ा झूंठ ना छोड़ा
क्रोध ना छोड़ा झूंठ ना छोड़ा
सत्य वचन क्यो छोड़ दिया तूने
नाम जपना क्यो छोड़ दिया यह भजन सांसारिक मोहमाया और ईश्वर की भक्ति के महत्व को बताता है। भजन की शुरुआत में, भक्त कहता है कि उसने क्रोध और झूठ को नहीं छोड़ा है। वह कहता है कि उसने भगवान की भक्ति और सत्य वचन को नहीं छोड़ा है। भजन के दूसरे भाग में, भक्त कहता है कि उसने झूठे जग में जीने के लिए अपने असली वतन को छोड़ दिया है। वह कहता है कि उसने सांसारिक सुखों के पीछे भागते हुए अपने आध्यात्मिक जीवन को बर्बाद कर दिया है।
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