मत कर माया का अभिमान लिरिक्स Mat Kar Maya Ka Abhiman Lyrics

मत कर माया का अभिमान लिरिक्स हिंदी Mat Kar Maya Ka Abhiman Lyrics Hindi Prahlad Singh Tipaniya Kabir Bhajan Lyrics Hindi कबीर भजन

 
मत कर माया का अभिमान लिरिक्स Mat Kar Maya Ka Abhiman Lyrics

एै जी, दुर्लभ मानुष जन्म है, देह न बारम्बार
तरुवर ज्यों पत्ता झड़े, बहुरि न लागे डार
एै जी, पानी केरा बुदबुदा, अस मानुष की जात
देखत ही छिप जायेगा, ज्यों तारा परभात
एै जी, कबीर कहा गरबियो, काल गहे कर केस
ना जाने कहाँ मारिसी, क्या घर क्या परदेस

मत कर मान गुमान ! हाँ मत कर काया को अहंकार
मत कर मान गुमान ! हाँ मत कर काया को अहंकार
केसरिया रंग उडी जायलो ! हो लाल हो रंग उडी जायलो
केसरिया रंग उडी जायलो ! हो लाल हो रंग उडी जायलो

यो संसार कागज के री पुड़िया, हाँ, बूंद पड़े ने गल जाय
यो संसार कागज के री पुड़िया, हाँ, बूंद पड़े ने गल जाय
केसरिया रंग उडी जायलो ! हो लाल हो रंग उडी जायलो
हाँ, मत कर मान गुमान ! हाँ मत कर काया को अहंकार
केसरिया रंग उडी जायलो ! हो लाल हो रंग उडी जायलो

यो संसार झाड़ और झाँखर, हाँ, आग लगे ने बरी जाय
यो संसार झाड़ और झाँखर, हाँ, आग लगे ने बरी जाय
केसरिया रंग उडी जायलो ! हो लाल हो रंग उडी जायलो
मत कर मान गुमान ! हाँ मत कर काया को अहंकार
केसरिया रंग उडी जायलो ! हो लाल हो रंग उडी जायलो

यो संसार बोर वाली झाड़ी,हाँ, यामें उलझ-पुलझ मरी जाय
हाँ, यो संसार बोर वाली झाड़ी, हाँ, यामें उलझ-पुलझ मरी जाय
केसरिया रंग उडी जायलो ! हो लाल हो रंग उडी जायलो
हाँ, मत कर मान गुमान ! हाँ मत कर काया को अहंकार
केसरिया रंग उडी जायलो ! हो लाल हो रंग उडी जायलो

हाँ, यो संसार हॉट वालो मेलो, हाँ, सौदा करी ने घर जाय
हाँ, मूरख मूल गंवाय, हाँ, मूरख मूल गंवाय
हाँ, यो संसार हॉट वालो मेलो, हाँ, सौदा करी ने घर जाय
हाँ, मूरख मूल गंवाय, हाँ, मूरख मूल गंवाय
केसरिया रंग उडी जायलो, हो लाल हो रंग उडी जायलो
हाँ, मत कर मान गुमान, हाँ मत कर काया को अहंकार
केसरिया रंग उडी जायलो, हो लाल हो रंग उडी जायलो

हाँ, योसंसार कांच वाली चूड़ियाँ, हाँ, लगे टकोरो झड़ जाय
हाँ, योसंसार कांच वाली चूड़ियाँ, हाँ, लगे टकोरो झड़ जाय
केसरिया रंग उडी जायलो ! हो लाल हो रंग उडी जायलो
हाँ, मत कर मान गुमान ! हाँ मत कर काया को अहंकार
केसरिया रंग उडी जायलो ! हो लाल हो रंग उडी जायलो

हाँ, कहहूँ कबीर सुनो भाई साधो, हाँ, सद्गुरु नाम सहाय
हाँ, कहहूँ कबीर सुनो भाई साधो, हाँ, सद्गुरु नाम सहाय
केसरिया रंग उडी जायलो ! हो लाल हो रंग उडी जायलो
हाँ, मत कर मान गुमान ! हाँ मत कर काया को अहंकार
केसरिया रंग उडी जायलो ! हो लाल हो रंग उडी जायलो
 

यह भजन मनुष्य के जीवन की क्षणभंगुरता और सांसारिक मोहमाया के खतरों को बताता है। भजन की शुरुआत में, भक्त कहता है कि मनुष्य का जन्म दुर्लभ है। वह कहता है कि मनुष्य का शरीर एक बार ही मिलता है। भजन के दूसरे भाग में, भक्त कहता है कि मनुष्य का शरीर एक पत्ते की तरह है। वह कहता है कि पत्ते की तरह, मनुष्य का शरीर भी जल्द ही गिर जाएगा।

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2 टिप्पणियां

  1. अमूल्य। बहुत बहुत आभार। नमस्ते।
  2. hi