माया तजि न जाय अवधू माया तजी न जाय

माया तजि न जाय अवधू  माया तजी न जाय

माया तजि न जाय अवधू  माया तजी न जाय लिरिक्स Maya Taji Na Jay Avdhoo Maya Taji Naa Jay Lyrics

माया तजि न जाय अवधू , माया तजी न जाय ।
गिरह तज के बस्तर बांधा, बस्तर तज के फेरी ।
काम तजे तें क्रोध न जाई, क्रोध तजे तें लोभा ।
लोभ तजे अहँकार न जाई, मान-बड़ाई-सोभा ।
मन बैरागी माया त्यागी, शब्द में सुरत समाई ।
कहैं कबीर सुनो भाई साधो, यह गम बिरले पाई ॥ 


कबीर के इस दोहे का अर्थ है कि माया का त्याग करना बहुत मुश्किल है। माया एक ऐसी शक्ति है जो हमें अपने लक्ष्यों से भटका देती है और हमें बुरे कार्यों में लिप्त कर देती है। कबीर के अनुसार, माया का त्याग करने के लिए हमें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। हमें अपने सांसारिक मोहों को त्यागना पड़ता है, हमें अपने क्रोध और लोभ को नियंत्रित करना पड़ता है, और हमें अपने अहंकार को दूर करना पड़ता है।
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