चित्रकादि वटी क्या है चित्रकादी वटी के लाभ और उपयोग Patanjali Chitrakadi Vati Benefits and Usages
आयुर्वेद व्यक्ति को स्वस्थ जीवन के राह प्रशस्त करता है। आयुर्वेद में छोटी से छोटी जड़ी बूटी के गुणों का विस्तार से वर्णन प्राप्त होता है। वर्तमान में जो अंग्रेजी दवाइयां हैं वे सभी कही न कहीं आयुर्वेद से प्रभावित जरूर हैं। आयुर्वेद में वटी के माध्यम से दी जाने वाली दवा अत्यंत ही कारगर साबित होती हैं। ऐसी ही एक वटी है चित्रकादि वटी। आइयें जानते हैं की चित्रकादि वटी क्या है और इसके मुख्य लाभ क्या हैं।
चित्रकादि वटी क्या है
चित्रकादि वती एक आयुर्वेदिक दवा है तो टेबलेट फॉर्म में उपलब्ध है। इसमें मुख्यतया नौ द्रव्यों का प्रयोग किया जाता है, ये हैं चित्रक की मूल ( जड़ ) , पिपरा मूल, जवाखार, सज्जिखर, नमक, त्रिकटु चूर्ण, भुनी हुई हिंग, अजमोदा और चक। यहाँ यह स्पष्ट कर देना चाहिए की इसे अनेकों निर्माता बनाते हैं इसलिए इसके घटक भिन्न हो सकते हैं। इसमें प्रमुख रूप से चित्रक का उपयोग किया जाता है इसलिए इसका नाम चित्रकादि वटी रखा गया है। आगे हम आपको बताएँगे की चित्रक क्या है और इसके मुख्य गुण धर्म क्या हैं।
पतंजलि चित्रकादि वटी के घटक
जैसा की पहले भी बताया है, इस वटी के घटक निर्माताओं के अनुसार कुछ भिन्न हो सकते हैं। पतंजलि चित्रकादि वटी के निम्न घटक होते हैं।
- चित्रक (Plumbago zeylanica Linn.) मूल 1 भाग
- पिप्पलीमूल (Piper longum Linn.) मूल 1 भाग
- यवक्षार पंचांग 1 भाग
- सज्जीक्षार 1 भाग
- सौवर्चल लवण 1 भाग
- सैंधव लवण 1 भाग
- विड लवण 1 भाग
- सामुद्र लवण 1 भाग
- औद्भिद लवण 1 भाग
- शुण्ठी (Zingiber officinale Rosc.) कन्द 1 भाग
- मरिच (Piper nigrum Linn.) फल 1 भाग
- पिप्पली (Piper longum Linn.) फल 1 भाग
- हिंगू (Ferula narthex Boiss.) निस्राव 1 भाग
- अजमोदा फल 1 भाग
- चव्य (Piper retrofractum Vahl.) तना 1 भाग
- मातुलुंग रस या दाडिम रस
चित्रकादि वटी का सेवन कैसे करें
चित्रकादि वटी का सेवन वैद्य के परामर्श के अनुसार 1/2 ग्राम कर सकते हैं। आयुर्वेद में चित्रकादि वटी का सेवन कोष्ण जल या छाछ के रूप में करते हैं।
चित्रक क्या है
चित्रक का वानस्पतिक नाम (plumbago zeylanica) -(प्लम्बेगो जेलेनिका) होता है। यह एक झाड़ीदार हर्ब होती है जिसके पत्ते ज्यादा लम्बे नहीं होते हैं और इसके फूल सफ़ेद, लाल और नीले होते हैं। आयुर्वेदा में चित्रक के बारे में विस्तार से वर्णन प्राप्त होता है। इसे हिंदी में अनेकों नामों से जाना जाता है यथा चीत, चीता, चित्रक, चित्ता, चितरक, चितउर आदि। चित्रक का गुण लघु -रुक्ष , तीक्ष्ण, रस -कटु वीर्य -उष्ण विपाक-कटु होता है। चित्रक की मुख्यतया तीन प्रजाति होती हैं सफ़ेद, नील और लाल चित्रक। चित्रक के सेवन से कब्ज, गैस, अजीर्ण, आफरा, कच्चा मल, सर दर्द, दाँतों के रोग, गले की खरांस, मोटापा, बवासीर, प्रसव, गठिया रोगों में चित्रक से बनी ओषधियों से लाभ प्राप्त होता है। यह त्रिदोष नाशक होता है। पाचन को बढ़ाने, भूख को जाग्रत करने पेट के कीड़े समाप्त करने के लिए इसका उपयोग अन्य ओषधियों के मेल से किया जाता है। प्रधान रूप से इसकी मूल का उपयोग किया जाता है।
चित्रकादि वटी के सेवन से लाभ
- चित्रकादि वटी के सेवन से हमें मुख्यतया पाचन में सुधार होता है साथ ही पेट फूलना, आफरा, गैस और अपच में सुधार लाती हैं।
- चित्रकादि वटी के सेवन से मूत्र से सबंधित विकार दूर होते हैं।
- अग्निमांद्य या बदहजमी में चित्रकादि वटी के सेवन से लाभ प्राप्त होता है। यदि किसी को कच्चा मल निकलता हो तो उसके इलाज में भी यह लाभदायक होती है।
- चित्रकादि वटी के सेवन से जठराग्नि जाग्रत होती है और भूख में वृद्धि होती है। पाचन सुधरने से भूख में स्वतः ही वृद्धि हो जाती है।
- पेचिस और कब्ज में भी चित्रकादि वटी के सेवन से लाभ प्राप्त होता है।
- चित्रकादि वटी के सेवन से एसिडिटी और गैस में भी राहत प्राप्त होती है।
- पेट में डाह और जलन में भी चित्रकादि वटी के सेवन से लाभ प्राप्त होता है।
चित्रकादि वटी कहाँ से खरीदें
चित्रकादि वटी पतंजलि स्टोर्स पर उपलब्ध हैं। चित्रकादि वटी के बारे में विस्तार से जानने और इसे ऑनलाइन खरीदने के लिए पतंजलि आयुर्वेदा की अधिकृत और ऑफिसियल वेब साइट पर विजिट करें जिसका लिंक निचे दिया गया है।
https://www.patanjaliayurved.net/product/ayurvedic-medicine/vati/chitrakadi-vati/33
What Patanjali Ayurveda Says About Chitrakadi Vati :
ChitrakadiVati cures indigestion, improves appetite and suppresses gas and discomfort. Unbalanced diet, stress and sedentary lifestyle cause digestion-related ailments. ChitrakadiVati stimulates production of digestive enzymes, increases absorption of food and soothes hyperacidity in stomach. It is made from natural extracts and has no side effects. Take ChitrakadiVati everyday to soothe discomfort, fortify your digestive system and regain balance of elements. Feel the completely natural and lasting therapy of Ayurvedic meditation in your everyday life.
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The author of this blog, Saroj Jangir (Admin),
is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a
diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me,
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