सारी उमर गवां लइ तू जींदड़ीये लिरिक्स

सारी उमर गवां लइ तू जींदड़ीये लिरिक्स

 
सारी उमर गवां लइ तू जींदड़ीये लिरिक्स Sari Umar Gava Layi Lyrics

सारी उमर गवां लइ तू,
जींदड़ीये, कुछ ना जहां विच खटिया,
सारी उमर गवां लइ तू,
जींदड़ीये, कुछ ना जहां विच खटिया।

क्यों करे तू माया माया,
माया है दो पल दी छाया,
फंस के इस दे मोह दे विच,
क्यों होस भुला लाई तू,
जींदड़ीये, कुछ ना जहां विच खटिया,
सारी उमर गवां लइ तू,
जींदड़ीये, कुछ ना जहां विच खटिया।

ना बचपन ना रही जवानी,
ना रही ओ अक्ल शैतानी,
आया बुढ़ापा जो जांदा नहीं,
हर चाल चला लई तू,
जींदड़ीये, कुछ ना जहां विच खटिया,
सारी उमर गवां लइ तू,
जींदड़ीये, कुछ ना जहां विच खटिया।

दुनियां तेन्नु प्यारभी कर दी,
प्यार है बेशुमार भी कर दी,
बोल बोल के कोड़े बोल
दुश्मन बणा लई तू,
जींदड़ीये कुछ ना जहां विच खटिया,
सारी उमर गवां लइ तू,
जींदड़ीये, कुछ ना जहां विच खटिया।

जिन्हा लयी तू पाप कमाइया,
अंत वेले कोई काम नहीं आइया,
धन दे बदले एहने पाप,
एहे की अकल बना ली तू,
जींदड़ीये, कुछ ना जहां विच खटिया,
सारी उमर गवां लइ तू,
जींदड़ीये, कुछ ना जहां विच खटिया।

सारी उमर गवां लइ तू,
जींदड़ीये, कुछ ना जहां विच खटिया,
सारी उमर गवां लइ तू,
जींदड़ीये, कुछ ना जहां विच खटिया।

सिख धर्म में शबद कीर्तन का बहुत महत्व है और सिख आध्यात्मिक अभ्यास में भी इसे प्रमुख माना गया है। शबद कीर्तन सिख पवित्र ग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब से भजनों के गायन और जप को संदर्भित करता है, जिसमें सिख गुरुओं और अन्य संतों के लेखन शामिल हैं।

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