अनूप जलोटा भजन नंदन घनश्याम

अनूप जलोटा भजन नन्द नंदन घनश्याम

 
अनूप जलोटा भजन नन्द नंदन घनश्याम लिरिक्स Nand Nandan Ghanshyam Bhaj Man Lyrics

नन्द नंदन घनश्याम
भजमन राधे राधे
भजमन राधे
जीवन धन घनश्याम
भजमन राधे राधे
भजमन राधे
गोपीजन प्रान धन
वृन्दावन बिहारी श्याम
नन्द नंदन घनश्याम
भजमन राधे राधे
भजमन राधे गोपीवल्लभ राधेश्याम
प्रेम से बोलो सीताराम
नन्द नंदन घनश्याम
भजमन राधे राधे
भजमन राधे
शरण पड़ा हु रख लो लाज
दीन बंधू दीना नाथ
नन्द नंदन घनश्याम
भजमन राधे राधे
भजमन राधे
दीनानाथ आओ नाथ
करुना हस्त बढाओ नाथ
नन्द नंदन घनश्याम
भजमन राधे राधे
भजमन राधे
भक्तन के जीवन धन
अवध बिहारी राम
नन्द नंदन घनश्याम
भजमन राधे राधे
भजमन राधे
राम धुन लागी
गोपाल धुन लागी
कृष्ण धुन लागी
गोपाल धुन लागी
राधा कृष्ण गोविन्द गोविन्द
जय जय गोपाला
कृष्ण को रामा रामा
गोविन्द हरी हरी
जय जय सीताराम
जय जय सीताराम
जय सिया राम
जय जय सियाराम
जय राधेश्याम जय जय राधेश्याम
गोविन्दो नहीं गायो तो
फिर क्या कमायो बावरे
भज बालकृष्ण नंदलाल
गोविन्द गोपाल
तेरी माधुरी मूरत पे
वारि गोपाल
भज बालकृष्ण नंदलाल
गोविन्द गोपाल
तेरी माधुरी मूरत पे
वारि गोपाल
कुञ्ज में विराजे घनश्याम
भजमन राधे राधे
भजमन राधे
राजा रणछोड़
राजा रणछोड़
द्वारिका को नाथ म्हारो
राजा रणछोड़
सत्यजित आनंद राजा राम
पतित पावन श्रीपति राम
राम जपु राम जपु राम जपु बावरे
भोर भाव नीर निध नाव रे
हरी शरणम हरी शरणम
जय जय महादेव शम्भू
काशी विश्वनाथ गंगे
राम जी का नाम सदा मिश्री
जब चखे तब गोंदर गिरी
राम नाम लड्डू गोपाल भी
कृष्ण नाम खीर खांड घोल घोल पी
तालिया बजाओ भाई तालिया बजाओ
राधे राधे गोविन्द गाओ
सीता राम सीता राम
राधेश्याम राधेश्याम


Beautiful Krishna Bhajan - Nand Nandan Ghansham By Anup Jalota

Wings Music Presents the 'Sai Aashirwad ' channel. You will find here Devotional music like Bhajans, Aarti's, Mantras, Meditation Chants, Jaap, Shlokas, Amritwani, and Kirtans.
 
यह भाव उस सार्वभौमिक भक्ति का आलाप है जो व्यक्ति को अनेक रूपों में उसी एक परमसत्य से जोड़ता है। यहाँ नंदनंदन कृष्ण, गोविंद, घनश्याम, राम और रणछोड़—सभी एक ही प्रेमरस के स्वर हैं। यह गीत साधक के हृदय को उस आनंद में डुबो देता है जहाँ नामस्मरण ही जीवन का उत्सव बन जाता है। राधे‑राधे का जप केवल शब्द नहीं, वह आत्मा की धड़कन है—जो हर उच्चारण के साथ चेतना को पवित्र करती है। वृंदावन की गलियों की मृदुलता, द्वारका के वैभव की गरिमा और अयोध्या की मर्यादा—all इस भक्ति में संगम लेते हैं। यह वह क्षण है जब साधक का मन अनेक नामों में भी एक ही अनुभूति करता है—प्रेम का, समर्पण का, हर्ष का। 

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