अनूप जलोटा भजन तृष्णा ना जाये मन से
मथुरा वृन्दावन सघन
और यमुना के तीर
धन्य धन्य माटी सुघर
धन्य कालिंदी नीर
कृष्णा बोलो कृष्णा
हरे कृष्णा
राधे कृष्णा
तृष्णा ना जाये मन से
कृष्णा ना आये मन में
जतन करूँ मैं हजार
कैसे लगेगी नैया पार
मेरे श्याम जी
कैसे लगेगी नैया पार
इक पल माया साथ ना छोड़े
जिधर जिधर चाहे मुझे मोड़े
हरी भक्ति से हरी पूजन से
मेरा रिश्ता नाता तोड़े
माया ना जाये मन से
भक्ति ना आये मन में
जीवन ना जाये बेकार
कैसे लगेगी नैया पार
मेरे श्याम जी
कैसे लगेगी नैया पार
क्षमा करो मेरे गिरिवर धारी
चंचलता मन की लाचारी
लगन जगा दो मन में स्वामी
तुम हो प्रभु जी अंतर्यामी
मन ना बने अनुरागी
भावना बने ना त्यागी
दया करो करतार
कैसे लगेगी नैया पार
मेरे श्याम जी
कैसे लगेगी नैया पार
तृष्णा ना जाये मन से
कृष्णा ना आये मन में
जतन करूँ मैं हजार
कैसे लगेगी नैया पार
मेरे श्याम जी
कैसे लगेगी नैया पार
और यमुना के तीर
धन्य धन्य माटी सुघर
धन्य कालिंदी नीर
कृष्णा बोलो कृष्णा
हरे कृष्णा
राधे कृष्णा
तृष्णा ना जाये मन से
कृष्णा ना आये मन में
जतन करूँ मैं हजार
कैसे लगेगी नैया पार
मेरे श्याम जी
कैसे लगेगी नैया पार
इक पल माया साथ ना छोड़े
जिधर जिधर चाहे मुझे मोड़े
हरी भक्ति से हरी पूजन से
मेरा रिश्ता नाता तोड़े
माया ना जाये मन से
भक्ति ना आये मन में
जीवन ना जाये बेकार
कैसे लगेगी नैया पार
मेरे श्याम जी
कैसे लगेगी नैया पार
क्षमा करो मेरे गिरिवर धारी
चंचलता मन की लाचारी
लगन जगा दो मन में स्वामी
तुम हो प्रभु जी अंतर्यामी
मन ना बने अनुरागी
भावना बने ना त्यागी
दया करो करतार
कैसे लगेगी नैया पार
मेरे श्याम जी
कैसे लगेगी नैया पार
तृष्णा ना जाये मन से
कृष्णा ना आये मन में
जतन करूँ मैं हजार
कैसे लगेगी नैया पार
मेरे श्याम जी
कैसे लगेगी नैया पार
Trushna Na Jaye
Provided to YouTube by Super Cassettes Industries Limited
Trushna Na Jaye · Anup Jalota
Ram Naam Japo...
℗ Super Cassettes Industries Limited
Released on: 2010-02-22
Trushna Na Jaye · Anup Jalota
Ram Naam Japo...
℗ Super Cassettes Industries Limited
Released on: 2010-02-22
यह भाव उस साधक के मन से निकली प्रार्थना का स्वर है जो भगवान के चरणों में आत्मसमर्पण की सी ढूँढता है। मथुरा-वृंदावन की पावन भूमि, जहाँ हर कण कृष्ण-स्मृति से सुवासित है, वहाँ खड़ा यह मन अपने भीतर के संघर्षों से जूझ रहा है। वह जानता है कि जीवन की नैया तभी पार लग सकती है जब मन माया के बंधन से मुक्त हो जाए। पर यही तो सबसे कठिन है—क्योंकि तृष्णाएँ छोड़ना, और भक्ति को स्थिर रखना, मनुष्य के जीवन की सबसे बड़ी परीक्षा है। यमुना किनारे का यह भाव एक विनम्र निवेदन बन जाता है—“हे श्याम, मुझे अपने प्रेम में बाँध लो, ताकि संसार का मोह मुझ पर हावी न हो सके।”
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Author - Saroj Jangir
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