होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया, आज बिरज में होरी रे रसिया। कौन के हाथ कनक पिचकारी कौन के हाथ कमोरी रे रसिया आज बिरज में होरी रे रसिया।
कृष्ण के हाथ कनक पिचकारी राधा के हाथ कमोरी रे रसिया आज बिरज में होरी रे रसिया।
अपने-अपने घर से निकसी कोई श्यामल, कोई गोरी रे रसिया आज बिरज में होरी रे रसिया। उड़त गुलाल लाल भये बादर केशर रंग में घोरी रे रसिया आज बिरज में होरी रे रसिया। बाजत ताल मृदंग झांझ ढप और नगारे की जोड़ी रे रसिया आज बिरज में होरी रे रसिया। कै मन लाल गुलाल मँगाई, कै मन केशर घोरी रे रसिया आज बिरज में होरी रे रसिया।
Holi Bhajan,Krishna Bhajan Lyrics Hindi
सौ मन लाल गुलाल मगाई दस मन केशर घोरी रे रसिया आज बिरज में होरी रे रसिया चन्द्रसखी भज बाल कृष्ण छबि, जुग-जुग जीयौ यह जोरी रे रसिया
आज बिरज में होरी रे रसिया।
होली हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है। यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन और भगवान कृष्ण के बाल्यकाल की लीलाओं को याद करने के लिए मनाया जाता है। बृज की होली पूरे भारत में सबसे प्रसिद्ध होली है। बृज की होली की शुरुआत भगवान कृष्ण के बाल्यकाल से हुई थी। कृष्ण अपने मित्रों और गोपियों के साथ होली खेलते थे। वे एक-दूसरे पर रंग और गुलाल उड़ाते थे। कृष्ण अपनी लीलाओं से सभी को आनंदित कर देते थे। आज भी, बृज की होली को उसी उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। बृज के मंदिरों और गांवों में होली के लिए विशेष तैयारियां की जाती हैं। लोग नए कपड़े पहनते हैं और होली के गीत गाते हैं। होली के दिन, लोग एक-दूसरे पर रंग और गुलाल उड़ाते हैं। इस दौरान, लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को गले लगाते हैं।
ब्रज में होली पर्व की शुरुआत वसंत पंचमी के दिन से ही हो जाती है। इस दिन को ब्रज में "होली का ढाड़ा गाड़ना" कहा जाता है। इस दिन, ब्रज के सभी मंदिरों और चौक-चौराहों पर एक लकड़ी का टुकड़ा गाड़ा जाता है, जिसे होली का प्रतीक माना जाता है। इसके बाद, लगातार 45 दिनों तक ब्रज के सभी प्राचीन मंदिरों में प्रतिदिन होली के प्राचीन गीत गए जाते हैं। इन गीतों में भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम की कहानियां सुनाई जाती हैं। ब्रज की होली का अपना एक अलग ही महत्व है। यहाँ होली को एक धार्मिक और सांस्कृतिक त्योहार के रूप में मनाया जाता है। ब्रज में होली के कई प्रसिद्ध आयोजन होते हैं, जिनमें लड्डूमार होली और लठमार होली शामिल हैं।
Aaj Biraj Mein Hori Re Rasiya by Mridul Krishna Shastri आज बिरज में होरी रे रसिया
Aaj Biraj Mein Horee Re Rasiya
Horee Re Rasiya, Barajoree Re Rasiya Aaj Biraj Mein Horee Re Rasiya
Kaun Ke Haath Kanak Pichakaaree Kaun Ke Haath Kamoree Re Rasiya Aaj Biraj Mein Horee Re Rasiya
Krshn Ke Haath Kanak Pichakaaree Raadha Ke Haath Kamoree Re Rasiya Aaj Biraj Mein Horee Re Rasiya
Apane-apane Ghar Se Nikasee Koee Shyaamal, Koee Goree Re Rasiya Aaj Biraj Mein Horee Re Rasiya
Udat Gulaal Laal Bhaye Baadar Keshar Rang Mein Ghoree Re Rasiya Aaj Biraj Mein Horee Re Rasiya
Baajat Taal Mrdang Jhaanjh Dhap Aur Nagaare Kee Jodee Re Rasiya Aaj Biraj Mein Horee Re Rasiya
Kai Man Laal Gulaal Mangaee, Kai Man Keshar Ghoree Re Rasiya Aaj Biraj Mein Horee Re Rasiya
Sau Man Laal Gulaal Magaee Das Man Keshar Ghoree Re Rasiya Aaj Biraj Mein Horee Re Rasiya Chandrasakhee Bhaj Baal Krshn Chhabi, Jug-jug Jeeyau Yah Joree Re Rasiya Aaj Biraj Mein Horee Re Rasiya