बस बात जरासी होसी लिखी रे तकदीर
लिखी करम की कैयां टलसी, तेरो जोर कठे ताई चलसी
दुरमत करयां रे घणो जी बलसी, दुरमत छोड़ो मेरा बीर
तूँ क्यूँ धन की खातिर भागे, किस्मत तेरे सागे सागे
तूँ सोवे तो भी या जागे थ्यावस ले ले मेरा बीर
तेरो मन चोखी खाने पर, छाप लगी दाने दाने पर
मिल जासी मौको आने पर,जिस रे दाने मे तेरो सीर
के चावे तू चोखा संगपन, के चावे तूँ मान बड़प्पन
होवे एक विचारे छप्पन, शंभु भजो रे रघुवीर
बोल नाथ जी महाराज की जय
लिखी करम की कैयां टलसी, तेरो जोर कठे ताई चलसी
दुरमत करयां रे घणो जी बलसी, दुरमत छोड़ो मेरा बीर
तूँ क्यूँ धन की खातिर भागे, किस्मत तेरे सागे सागे
तूँ सोवे तो भी या जागे थ्यावस ले ले मेरा बीर
तेरो मन चोखी खाने पर, छाप लगी दाने दाने पर
मिल जासी मौको आने पर,जिस रे दाने मे तेरो सीर
के चावे तू चोखा संगपन, के चावे तूँ मान बड़प्पन
होवे एक विचारे छप्पन, शंभु भजो रे रघुवीर
बोल नाथ जी महाराज की जय
दोहा
धर जाता,धर्म पलटतां, त्रियाँ पडंता ताव।
तीन दिवस मरण रा, कुण रंक कुण राव।
होसी लिखी तकदीर
बस बात जरासी,
होसी लिखी तकदीर।
लिखी करम की कैयां टलसी,
तेरो जोर कठे ताई चलसी।
दुरमत करयां रे घणो जी बलसी,
दुरमत छोड़ो मेरा बीर।
बस बात जरासी,
होसी लिखी तकदीर।
क्यूँ धन की खातिर भागे,
किस्मत तेरे सागे सागे।
तूँ सोवे तो भी या जागे,
थ्यावस ले मेरा बीर।
बस बात जरासी,
होसी लिखी तकदीर।
तेरो मन चोखी खाने पर,
छाप लगी दाने दाने पर।
मिल जासी मौको आने पर,
जिस रे दाने मे तेरो सीर।
बस बात जरासी,
होसी लिखी तकदीर।
के चावे तू चोखा संगपन,
के चावे तूँ मान बड़प्पन।
होवे एक विचारे छप्पन,
शंभु भजो रे रघुवीर।
बस बात जरासी,
होसी लिखी तकदीर।
होसी लिखी रे तकदीर
बस बात जरासी, होसी लिखी तकदीर।
लिखी करम की कैयां टलसी, तेरो जोर कठे ताई चलसी।
दुरमत करयां रे घणो जी बलसी, दुरमत छोड़ो मेरा बीर।
बस बात जरासी,
होसी लिखी तकदीर।
क्यूँ धन की खातिर भागे, किस्मत तेरे सागे सागे।
तूँ सोवे तो भी या जागे,थ्यावस ले मेरा बीर।
बस बात जरासी,
होसी लिखी तकदीर।
तेरो मन चोखी खाने पर, छाप लगी दाने दाने पर।
मिल जासी मौको आने पर,जिस रे दाने मे तेरो सीर।
बस बात जरासी,
होसी लिखी तकदीर।
के चावे तू चोखा संगपन, के चावे तूँ मान बड़प्पन।
होवे एक विचारे छप्पन, शंभु भजो रे रघुवीर।
धर जाता,धर्म पलटतां, त्रियाँ पडंता ताव।
तीन दिवस मरण रा, कुण रंक कुण राव।
होसी लिखी तकदीर
बस बात जरासी,
होसी लिखी तकदीर।
लिखी करम की कैयां टलसी,
तेरो जोर कठे ताई चलसी।
दुरमत करयां रे घणो जी बलसी,
दुरमत छोड़ो मेरा बीर।
बस बात जरासी,
होसी लिखी तकदीर।
क्यूँ धन की खातिर भागे,
किस्मत तेरे सागे सागे।
तूँ सोवे तो भी या जागे,
थ्यावस ले मेरा बीर।
बस बात जरासी,
होसी लिखी तकदीर।
तेरो मन चोखी खाने पर,
छाप लगी दाने दाने पर।
मिल जासी मौको आने पर,
जिस रे दाने मे तेरो सीर।
बस बात जरासी,
होसी लिखी तकदीर।
के चावे तू चोखा संगपन,
के चावे तूँ मान बड़प्पन।
होवे एक विचारे छप्पन,
शंभु भजो रे रघुवीर।
बस बात जरासी,
होसी लिखी तकदीर।
होसी लिखी रे तकदीर
बस बात जरासी, होसी लिखी तकदीर।
लिखी करम की कैयां टलसी, तेरो जोर कठे ताई चलसी।
दुरमत करयां रे घणो जी बलसी, दुरमत छोड़ो मेरा बीर।
बस बात जरासी,
होसी लिखी तकदीर।
क्यूँ धन की खातिर भागे, किस्मत तेरे सागे सागे।
तूँ सोवे तो भी या जागे,थ्यावस ले मेरा बीर।
बस बात जरासी,
होसी लिखी तकदीर।
तेरो मन चोखी खाने पर, छाप लगी दाने दाने पर।
मिल जासी मौको आने पर,जिस रे दाने मे तेरो सीर।
बस बात जरासी,
होसी लिखी तकदीर।
के चावे तू चोखा संगपन, के चावे तूँ मान बड़प्पन।
होवे एक विचारे छप्पन, शंभु भजो रे रघुवीर।
बस बात जरासी होसी लिखी रे तकदीर
होसी लिखी तकदीर //ओमप्रकाश ओमजी थेथलिया // Hosi Likhi Taqdeer Omprakash Omji Thethaliya
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