फकीरी अलबेला को खेल लिरिक्स Fakiri Albela Ko Khel

फकीरी अलबेला को खेल लिरिक्स Fakiri Albela Ko Khel Lyrics Nath Ji Bhajan Hindi

 
फकीरी अलबेला को खेल लिरिक्स Fakiri Albela Ko Khel Lyrics

कायर सके ना झेल
फकीरी अलबेला को खेल
ज्यूँ रण माँय लडे नर सूरा
अणियाँ झुक रहना सेल
गोली नाल जुजरबा चालै
सन्मुख लेवै झेल
सती पति संग नीसरी
अपने पिया के गैल
सुरत लगी अपने साहिब से
अग्नि काया बिच मेल
अलल पक्षी ज्यूँ उलटा चाले
बांस भरत नट खेल
मेरु इक्कीस छेद गढ़ बंका
चढ़गी अगम के महल
दो और एक रवे नहीं दूजा
आप आप को खेल
कहे सामर्थ कोई असल पिछाणै
लेवै गरीबी झेल
हरी भजे वे सुरवा, नहीं कायर को काम।
कायर नर का क्या मता काम क्रोध का ध्यान।
कायर सके ना झेल फकीरी
कायर सके ना झेल,
फकीरी अलबेला रो खेल।
ज्यूँ रण माँय लडे नर सूरा,
अणियाँ झुक रया सेल।
गोली नाल जुजर बा चालै,
सन्मुख लेवै झेल।
फकीरी अलबेला रो खेल।
कायर सके ना झेल फकीरी
सती पति संग नी सरी,
अपने पिया के गैल।
सुरत लगी अपने साहिब से,
अग्नि काया बिच मेल।
फकीरी अलबेला रो खेल।
कायर सके ना झेल फकीरी
अलल पक्षी ज्यूँ उलटा चाले,
बांस भरत नट खेल।
मेरु इक्कीस छेद गढ़ बंका,
चढ़गी अगम के महल।
फकीरी अलबेला रो खेल।
कायर सके ना झेल फकीरी
दो और एक रवे नहीं दूजा,
आप आप को खेल।
कहे सामर्थ कोई असल पिछाणै,
लेवै गरीबी झेल।
फकीरी अलबेला रो खेल।
कायर सके ना झेल फकीरी
कायर सके ना झेल
फकीरी अलबेला को खेल


Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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