तने करे पुतले त्यार तेरे से हाथा में ताली
चेतन का बीज माली, बोवण ने हो गया तैयार
जळ के ऊपर रची सृस्ठी, क्यारी तो बनाई च्यार
छोटे बड़े दरखत, और बिरछा की लगाईं लार
न्यारे न्यारे सबके पत्ते, न्यारे न्यारे सबके मेल
किसी के माय दूध भरया, किसी के माय भरया है तेल
हजार किसम की माली तने, दुनिया में लगा दी बेल
चेतन का बीज माली, बोवण ने हो गया तैयार
जळ के ऊपर रची सृस्ठी, क्यारी तो बनाई च्यार
छोटे बड़े दरखत, और बिरछा की लगाईं लार
न्यारे न्यारे सबके पत्ते, न्यारे न्यारे सबके मेल
किसी के माय दूध भरया, किसी के माय भरया है तेल
हजार किसम की माली तने, दुनिया में लगा दी बेल
ना कोई जगह खाली
ये करते भंवर गुंजार खिले फल फूल लता डाली
दूसरी क्यारी में तने, ऐसा तो बोया है बीज
विष की भरी सारी जड़े, जीतनी तो बनाई चीज
बिच्छू, सर्प, बघेरा, माछर, भरड ततैया, जैया तीज
चकवा चकवी बोल रहे, तोता मैंना नाचे मोर
हरियल और कुबेर फैंसी, एक तरफ कर रहे थे शोर
हरियल कुबरी तोता मैना, चन्दा पर झपटे चकोर
हो - किसी छाई हरियाली
तेरे गुलशन बाग़ बहार कूकती वहा कोयल काली
तीसरी क्यारी में तने, छोड़ी नहीं रत्ती भूल
जरख लोमड़ी, रीछ, भेड़िया पैदा किये सारदूल
हाथी, शेर, बघेरा, बन्दर बड़े बड़े अस्थूल
गधा, घोड़ा, ऊंट, खच्चर, सवारी का इंतजाम
भेड़, बकरी, गऊ माता, स्वर्ग का बतावै धाम
मरया पछे माली इनका, चमड़ा तक भी आवै काम
ये करते भंवर गुंजार खिले फल फूल लता डाली
दूसरी क्यारी में तने, ऐसा तो बोया है बीज
विष की भरी सारी जड़े, जीतनी तो बनाई चीज
बिच्छू, सर्प, बघेरा, माछर, भरड ततैया, जैया तीज
चकवा चकवी बोल रहे, तोता मैंना नाचे मोर
हरियल और कुबेर फैंसी, एक तरफ कर रहे थे शोर
हरियल कुबरी तोता मैना, चन्दा पर झपटे चकोर
हो - किसी छाई हरियाली
तेरे गुलशन बाग़ बहार कूकती वहा कोयल काली
तीसरी क्यारी में तने, छोड़ी नहीं रत्ती भूल
जरख लोमड़ी, रीछ, भेड़िया पैदा किये सारदूल
हाथी, शेर, बघेरा, बन्दर बड़े बड़े अस्थूल
गधा, घोड़ा, ऊंट, खच्चर, सवारी का इंतजाम
भेड़, बकरी, गऊ माता, स्वर्ग का बतावै धाम
मरया पछे माली इनका, चमड़ा तक भी आवै काम
तू ऐसा टकसाली है
तेरे भरे रहवे भण्डार कदे ना आवै कंगाली
चौथी तो क्यारी में तने , अपना दिखाया रूप
कोई कोढ़ी, कोई कंगला, कोई तो बनाया भूप
कोई कोई चातर करया, कोई करया बेवकूफ
न्यारा न्यारा रंग रूप, न्यारी न्यारी रूह है
जिधर देखू जड़ चेतन में, दिखे तू ही तू है
जर्रे जर्रे अन्दर रमी, इश्वर तेरी बू है
तेरे भरे रहवे भण्डार कदे ना आवै कंगाली
चौथी तो क्यारी में तने , अपना दिखाया रूप
कोई कोढ़ी, कोई कंगला, कोई तो बनाया भूप
कोई कोई चातर करया, कोई करया बेवकूफ
न्यारा न्यारा रंग रूप, न्यारी न्यारी रूह है
जिधर देखू जड़ चेतन में, दिखे तू ही तू है
जर्रे जर्रे अन्दर रमी, इश्वर तेरी बू है
तू सबका प्रतिपाली है
कह लिखमिचंद बन्या फिरे तू जग का रखवाली
कह लिखमिचंद बन्या फिरे तू जग का रखवाली
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Author - Saroj Jangir
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