पतंजलि इसबगोल के फायदे उपयोग और सेवन Patanjali Isabgol (Bhusi) Benefits Usages Doses Price
पतंजलि इसबगोल का प्रमुख गुण Gun Karam of Patanjali Isabgol Bhusi Hindi
मूत्रल और विरेचकपतंजलि इसबगोल के घटक Composition of Patanjali Isabgol Bhusi
इसका एकमात्र घटक इसबगोल की भुंसी होती है। यह भुंसी इसबगोल के बीजो के ऊपर/ बीज का खोल होती है जिसके ओषधिय लाभ होते हैं। इस भुंसी में प्रयाप्त मात्रा में फाइबर होते हैं। इसके फाईबर अपने वजन से लगभग दस गुना पानी सोखने की क्षमता रखते हैं।पतंजलि इसबगोल के फायदे Patanjali Isabgol Ke Fayade Hindi Benefits of Patanjali Isabgol
पतंजलि इसबगोल का मुख्य उपयोग कब्ज को दूर करना और पाचन जनित विकारों को दूर करना होता है और इसके अन्य लाभ निम्न प्रकार से हैं।- इसबगोल के सेवन से मल ढीला पड़ता है और कब्ज और कब्ज जनित विकारों में लाभ मिलता है। इसबगोल से आँतों की क्रिया में सहायता मिलती है /आंते सक्रीय रूप से कार्य करती हैं। इसबगोल में मौजूद फाईबर लेक्सेटिव की तरह से कार्य करती है और कब्ज दूर करती हैं, साथ ही आँतों में फंसे मल को बाहर धकेलने में मदद करती है। जब कब्ज दूर होने लगता है तो कब्ज जनित विकार स्वतः ही दूर होने लगते हैं। इसबगोल के सेवन से कुछ ही दिनों में कब्ज की समस्या से राहत मिलती है।
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- इसबगोल के विषय में विशेष है की यह आँतों के किसी भी अन्जायिम के प्रति असंवेदनशील होता है और उन्हें सोखता नहीं है और आँतों के संकुचन को बढाता है।
- इसबगोल में प्रयाप्त मात्रा में प्राकृतिक फाइबर होते हैं जो की हमारी आँतों के लिए बहुत ही लाभकारी होते हैं और इनसे कब्ज दूर होता है।
- जिससे पेट में होने वाली समस्याए मरोड़, दर्द, मलावरोध के साथ साथ अतिसार, पेचिस और आंतो में होने वाले घावों को भी ठीक करने में मदद करता है।
- कब्ज के दीगर, इसबगोल मोटापा, पेचिस, दस्त और डाईबिटीज रोगों में भी इसके सेवन से लाभ होता है।
- इसबगोल के सेवन से यदि किसी को पेट के अल्सर का रोग हो तो यह उस पर एक तरहा से सुरक्षा कवच बना देती है जिससे पेट में जलन नहीं होती है। कुछ हद तक यह अल्सर को दूर करता है।
- इसबगोल की तासीर ठंडी होती है इसलिए इसके सेवन से पेट की गर्मी दूर होती है और पेट में जलन नहीं होती है।
- बिगड़े हुए पित्त के लिए भी इसबगोल लाभ पहुचता है। यह अतिरिक्त पित्त को सोखने का काम करता है।
- कब्ज के अलावा यदि किसी को दस्त की समस्या हो तो इसके सेवन से दस्त बंद हो जाते हैं।
- पेशाब की जलन के लिए इसबगोल को (एक चम्मच इसबगोल और एक चम्मच चीनी ) चीनी के साथ लेने पर पेशाब की जलन में राहत मिलती है।
- बवासीर रोग में भी इसके सेवन से मल त्याग करते वक़्त ज्यादा जोर नहीं लगाना पड़ता है जिससे पाइल्स से खून आना आदि विकारो में लाभ मिलता है। बवासीर के कारणों में कब्ज/ पेट की गर्मी कारण होते हैं जिनमे इसबगोल के सेवन से लाभ मिलता है।
- इसबगोल में पाए जाने वाले जिलेटिन के कारन इसके सेवन से मधुमेह को नियंत्रित करने में कुछ हद तक मदद मिलती है।
- इसबगोल के सेवन से जहाँ एक और कब्ज दूर होता है वही यह आपको मोटापे से दूर रखने में भी सहायक होता है।
- इसके सेवन से आपके दिल को भी लाभ मिलता है। यह कोलेस्ट्राल मुक्त होता है और अधिक फाईबर होने के कारन दिल से जुडी बीमारियों के खतरे को टालने में सहायक होता है।
- अजीर्ण, खट्टी डकारे आना, पेट फूलना (आफरा ) आदि विकार जो की कब्ज से जुड़े हुए होते हैं उनमे भी इसबगोल के सेवन के उपरान्त लाभ मिलता है।
- कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मददगार होगा है (लिंक : विकिपीडिया )
- टाइप २ डाइबिटिज में भी इसके सेवन से लाभ मिलता है (लिंक : विकिपीडिया )
- शरीर से विषाक्त प्रदार्थों को दूर करता है।
- इसबगोल के उपयोग से शरीर की बढ़ी हुयी गर्मी शांत होती है।
- सुखी खांसी के लिए एक चमच्च इसबगोल के चूर्ण को एक गिलास गुनगुने पानी के साथ लेने से सुखी खांसी में लाभ मिलता है।
- एसिडिटी में भी इसके सेवन से लाभ मिलता है।
पतंजलि इसबगोल का सेवन : Usages of Patanjali Isabgol Hindi
यदि आप सामान्य कब्ज से पीड़ित है या फिर क्रोनिक कब्ज से, आपको वैद्य की सलाह उपरान्त इसबगोल को रात को खाना खाने के बाद एक चम्मच गर्म पानी में मिला कर लेना चाहिए। आप इसे गुनगुने दूध के साथ भी ले सकते हैं। इसे आप १० से १५ ग्राम तक ले सकते हैं। इसकी खुराक की मात्रा लेने वाले की उम्र पर निर्भर करती है इसलिये डॉक्टर से परामर्श करके ही इसका उचित मात्रा में ही सेवन करे।इसबगोल के सेवन में सावधानी : Precaution of Patanjali Isabgol Hindi
आपको इसबगोल वैद्य की बतायी मात्रा और निश्चित समय तक ही लेना चाहिए, अन्यथा आपके शरीर को इसकी आदत हो सकती है। अनियंत्रित रूप से इसबगोल के सेवन से शरीर में भारीपन आना, भूख कम लगना, कफ्फ का बढना आदि विकार हो सकते है, इसलिय आप इसे वैद्य की देख रेख में ही उपयोग लेवे। कुछ शोध के अनुसार यह शरीर में पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधक बन सकता है। छोटे बच्चो और गर्भवती महिलाओं या फिर किसी अन्य रोग की दवा के चलने पर आप इसका सेवन नहीं करे और वैद्य से सलाह लेवे।
पतंजलि इसबगोल की तासीर : Patanjali Isabgol Ki Taseer
इसबगोल की तासीर ठंडी होती है।
पतंजलि इसबगोल कहाँ से ख़रीदे : Buy Patanjali Isabgol Hindi
पतंजलीiइसबगोल को आप पतंजलि चिकित्सालय से वैद्य की सलाह उपरान्त खरीद सकते हैं। यदि आप इसे ऑनलाइन खरीदना चाहते हैं या इसके बारे में मजीद मालूमात हासिल करना चाहते हैं, तो आप पतंजलि आयुर्वेद की अधिकृत वेब साईट पर विजिट करे जिसका लिंक निचे दिया जा रहा है : -
https://www.patanjaliayurved.net/product/natural-health-care/health-and-wellness/isabgol-bhusi/814
पतंजलि इसबगोल की कीमत : Price of Patanjali Isabgol Hindi
यह लेख लिखे जाने तक पतंजलि इसबगोल 100 ग्राम में उपलब्ध है जिसकी कीमत रूपये 84 है। इसकी कीमत और मात्रा के सबंध में सुचना परिवर्तनीय है, कृपया पतंजलि वेबसाइट पर सुचना प्राप्त करें।
पतंजलि इसबगोल के विषय पर पतंजलि आयुर्वेद का कथन: पतन्जली आयुर्वेद की वेबसाइट पर पतंजली इसबगोल के सबंध में निम्न सुचना प्राप्त होती है :-
Isabgol, also called Psyllium, is obtained from the seeds of Plantago ovata and is very high in dietary fibre.It has natural gelatinous substance. After you soak it in water, it swells forming an emollient gel. It has laxative properties. Because of this, it helps in a passage of intestine and promotes bowel movement.
आइये जानते हैं इसबगोल के बारे में : Isabgol Kya Hota Hai in Hindi
इसबगोल (Plantago ovata, Psyllium husk ) से वैसे तो आप सभी परिचित ही होंगे क्योंकि लगभग हर घर में बड़े बुजुर्ग इसे इस्तेमाल करते हैं। इसबगोल दरअसल गेंहू के जैसे दिखने वाला पौधा होता है जिसके बीजो के ऊपर कुछ तन्तुनुमा भुंसी होती है, इसी का उपयोग हम करते हैं। इसबगोल का संस्कृत नाम में हमें यह पता चलता है की इसका नाम "अस्प" और "घोल" यानी की "घोडाफूल" आयुर्वेद में इसे अश्वगोल और अश्वकर्ण के नाम से जाना जाता है। मूल रूप से इसबगोल शब्द फारसी भाषा से सबंधित है जिसका अर्थ है घोड़े के कान, क्योंकि इसके पौधे के ऊपर कुछ ऐसी ही आकृति दिखाई देती है। इसबगोल मेंलगभग ७० प्रतिशत सोलुबल फाइबर और ३० प्रतिशत इनसोलुबल फाइबर होते हैं। इसबगोल की बालियों को तोड़कर इसके बीजों को निकाल लिया जाता है और बीजों के ऊपर का पतला सफ़ेद आवरण को चिकित्सीय उपयोग के लिए अलग कर लिया जाता है। इसे ही इसबगोल की भूसी के नाम से जाना जाता है |
इसबगोल का पौधा गेंहू के जैसा प्रतीत होता है। इसबगोल के पौधे की ऊँचाई लगभग एक मीटर तक होती है और इसके जो बालिया लगती हैं वो गेहूं के सामान ही होती है। इसके लगने वाले बीज मृदु, पौष्टिक, कसैले होते हैं। इस पौधे के पत्तें चावल के पौधे के सामान दिखाई देते हैं।
यह मुख्य रूप से एशिया, मिश्र और ईरान में पाया जाता है। विश्व भर में भारत इसका प्रमुख उत्पादक व निर्यातक देश है। वर्तमान में गुजरात एवं पश्चिमी राजस्थान, हरियाणा, बिहार, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ आदि स्थानों पर इसकी खेती की जाने लगी है।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं इस ब्लॉग पर रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियों और टिप्स यथा आयुर्वेद, हेल्थ, स्वास्थ्य टिप्स, पतंजलि आयुर्वेद, झंडू, डाबर, बैद्यनाथ, स्किन केयर आदि ओषधियों पर लेख लिखती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |