ग्यानी हत्या पाप को मानत लागे सोय मीनिंग
ग्यानी हत्या पाप को, मानत लागे सोय।
जल करि माने अग्नि को, तो शीतल काहे ना होय।।
Gyaanee Kee Hatya Ko Paap Maana Jaata Hai.
Jal Kari Man Agni Ko, Sheetal Kahe Na Hoy.दोहे के शब्दार्थ
ग्यानी : ब्रह्म की खबर रखने वाला, सत्य का ज्ञाता।
मानत लागे सोय : जो मान ले उसे ही।
जल करि : जल को।
माने अग्नि : अग्नि को जल समझ लेना।
शीतल : ठण्डा।
इस दोहे का हिंदी मीनिंग: - ज्ञानी लोगों ने प्रवचन दिया की ह्त्या का पाप तभी लगता है जब कोई मान ले की उसने हत्या की है। यदि वह नहीं माने तो कोई पाप नहीं लगता है, यदि ऐसा ही है तो क्या अग्नि को जल मान लेने पर वह ठंडी /शीतल हो जाती है। भाव है की ईश्वर का मूर्ति और शास्त्रों में निवास मान कर उसे ही सर्वोच्च मान लेना मूर्खता है। स्वंय के द्वारा तर्कहीन तथ्यों को मान लेने से वे झुठलाए नहीं जा सकते हैं। कबीर साहेब ने हर विषय बड़ी ही तार्किकता के साथ समझाया है और यह दोहा इस बात का प्रमाण है।
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