अणरता सुख सोवणाँ रातै नींद न आइ मीनिंग Anrata Sukh Sovana Meaning, Kabir Ke Dohe (Saakhi) Hindi Arth/Hindi Meaning Sahit (कबीर दास जी के दोहे सरल हिंदी मीनिंग/अर्थ में )
अणरता सुख सोवणाँ, रातै नींद न आइ,ज्यूँ जल टूटै मंछली यूँ बेलंत बिहाइ॥
Or
अजरता सुख सोवणाँ, रातै नींद न आइ,
ज्यूँ जल टूटै मंछली यूँ बेलंत विहाई।
Ajarata Sukh Sovana, Rate Nind Na Aayi,
Jyu Jal Tube Machhali, Yu Belant Bihai.
अणरता सुख सोवणाँ : जो इश्वर से विरक्त है, उसे ही नींद आती है.
रातै नींद न आइ : जो इश्वर की भक्ति करता है, उसे रात्री को भी नींद नहीं आती है.
ज्यूँ जल टूटै मंछली : जैसे जल के अभाव में मछली तडपती है.
यूँ बेलंत बिहाइ : ऐसे ही इश्वर भक्त विरह की अग्नि में तडपता है.
अजरता : अलगाव ,विमुखता.
सुख सोवणाँ : सुख की नींद, चैन की निंद्रा.
रातै : रात्री को.
नींद न आइ : नींद नहीं आती है.
रातै नींद न आइ : जो इश्वर की भक्ति करता है, उसे रात्री को भी नींद नहीं आती है.
ज्यूँ जल टूटै मंछली : जैसे जल के अभाव में मछली तडपती है.
यूँ बेलंत बिहाइ : ऐसे ही इश्वर भक्त विरह की अग्नि में तडपता है.
अजरता : अलगाव ,विमुखता.
सुख सोवणाँ : सुख की नींद, चैन की निंद्रा.
रातै : रात्री को.
नींद न आइ : नींद नहीं आती है.
प्रस्तुत साखी में कबीर साहेब की वाणी है की जो इश्वर से प्रेम रखता है, वह विरह की अग्नि में सदा ही दग्ध रहता है. उसे रात्री को भी चैन नहीं मिलता है, वह वैसे ही तडपता है जैसे जल के अभाव में मछली तड़पती है. जिनको ईश्वर की लगन नहीं लगी है, जो ईश्वर से अनुरक्त नहीं है वे तो आराम से सोते हैं लेकिन जिनको ईश्वर की लगन लगी हुई है वे हरी मिलन की आस में ऐसे तडपते हैं
जैसे बिना जल के मछली तडपती है। भाव है की वे सदा ही बेचैन रहते हैं हरी मिलन की आस में व्यक्ति को सिर्फ हरी की ही लगन लग जाती है उसे कोई भी सांसारिकऔर भौतिक क्रिया से सबंध अच्छा नहीं लगता है।
जैसे बिना जल के मछली तडपती है। भाव है की वे सदा ही बेचैन रहते हैं हरी मिलन की आस में व्यक्ति को सिर्फ हरी की ही लगन लग जाती है उसे कोई भी सांसारिकऔर भौतिक क्रिया से सबंध अच्छा नहीं लगता है।
- पाहन पूजे हरि मिले तो मैं पूजूँ पहार-कबीर के दोहे हिंदी में
- गुरु कुम्भार शिष्य कुम्भ है कबीर के दोहे में
- पोथी पढ़ी पढ़ी जग मुआ, पंडित भया ना कोय कबीर के दोहे
- जब मैं था हरी नाहीं, अब हरी है मैं नाही कबीर के दोहे हिंदी
- कबीर संगत साधु की ज्यों गंधी की बांस कबीर दोहे हिंदी में
- ऊँचे कुल में जनमियाँ करनी ऊंच ना होय कबिर के दोहे
- करे बुराई सुख चहे कबीर दोहा हिंदी में
- मेरे मन में पड़ी गई एक ऐसी दरार कबीर दोहे हिंदी मीनिंग