अणरता सुख सोवणाँ रातै नींद न आइ मीनिंग
अणरता सुख सोवणाँ, रातै नींद न आइ,
ज्यूँ जल टूटै मंछली यूँ बेलंत बिहाइ॥
Or
अजरता सुख सोवणाँ, रातै नींद न आइ,
ज्यूँ जल टूटै मंछली यूँ बेलंत विहाई।
Ajarata Sukh Sovana, Rate Nind Na Aayi,
Jyu Jal Tube Machhali, Yu Belant Bihai.
अणरता सुख सोवणाँ : जो इश्वर से विरक्त है, उसे ही नींद आती है.रातै नींद न आइ : जो इश्वर की भक्ति करता है, उसे रात्री को भी नींद नहीं आती है.ज्यूँ जल टूटै मंछली : जैसे जल के अभाव में मछली तडपती है.यूँ बेलंत बिहाइ : ऐसे ही इश्वर भक्त विरह की अग्नि में तडपता है.
अजरता : अलगाव ,विमुखता.सुख सोवणाँ : सुख की नींद, चैन की निंद्रा.रातै : रात्री को.नींद न आइ : नींद नहीं आती है. प्रस्तुत साखी में कबीर साहेब की वाणी है की जो इश्वर से प्रेम रखता है, वह विरह की अग्नि में सदा ही दग्ध रहता है. उसे रात्री को भी चैन नहीं मिलता है, वह वैसे ही तडपता है जैसे जल के अभाव में मछली तड़पती है. जिनको ईश्वर की लगन नहीं लगी है, जो ईश्वर से अनुरक्त नहीं है वे तो आराम से सोते हैं लेकिन जिनको ईश्वर की लगन लगी हुई है वे हरी मिलन की आस में ऐसे तडपते हैं
जैसे बिना जल के मछली तडपती है। भाव है की वे सदा ही बेचैन रहते हैं हरी मिलन की आस में व्यक्ति को सिर्फ हरी की ही लगन लग जाती है उसे कोई भी सांसारिकऔर भौतिक क्रिया से सबंध अच्छा नहीं लगता है।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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