जब लग मरने से डरै तब लगि प्रेमी नाहिं-हिंदी मीनिंग Jab Lag Marne Se Dare Tab Lagi Premi Nahi-Hindi Meaning/Bhavarth कबीर दोहे व्याख्या हिंदी में
जब लग मरने से डरै, तब लगि प्रेमी नाहिं ।
बड़ी दूर है प्रेम घर, समझ लेहु मन मांहि ।।
बड़ी दूर है प्रेम घर, समझ लेहु मन मांहि ।।
Jab Lag Marane Se Darai, Tab Lagi Premee Naahin .
Badee Door Hai Prem Ghar, Samajh Lehu Man Maanhi
Badee Door Hai Prem Ghar, Samajh Lehu Man Maanhi
कारों (काम, क्रोध, मद, मोह, माया आदि ) को समाप्त करने के बाद अभिमान समाप्त समझा जाता है।
यह तो घर है प्रेम का, उंचा अधिक ऐकांत
सीस काटि पग तर धरै, तब पैठे कोई संत।
प्रेम के रूप को उच्चतम बताते हुए कबीर साहेब ने कहा है की यदि तुम शीश काट कर पैरों में रख दो (अभिमान और अहम् का नाश कर दो ) तो ही तुम इसके अंदर प्रवेश कर सकते हों। सीस काटि पग तर धरै, तब पैठे कोई संत।
कबीरा यह घर प्रेम का, खाला का घर नाहिं ।
सीस उतारे हाथि करि, सो पैसे घर मांहि
प्रेम का घर बहुत ही उच्च है इसमें पहुँचने के लिए शीश काट कर हाथ में लेना पड़ता है, तभी इस घर में तुम प्रवेश कर सकते हो। यह कोई सगे सबंधी का घर नहीं है जो कोई भी इसमें योग्यता के बैगर इसमें प्रवेश कर जाए।सीस उतारे हाथि करि, सो पैसे घर मांहि
राम रसायन प्रेम रस, पीबत अधिक रसाल
कबीर पिबन दुरलभ है, मांगे शीश कलाल।
सतगुर सवाँन को सगा, सोधी सईं न दाति।
हरिजी सवाँन को हितू, हरिजन सईं न जाति॥
सही हेतु है तासु का, जाको हरि से टेक
टेक निबाहै देह भरि, रहै सबद मिलि ऐक।
बलिहारी गुर आपणैं द्यौं हाड़ी कै बार।
जिनि मानिष तैं देवता, करत न लागी बार॥
सतगुर की महिमा, अनँत, अनँत किया उपगार।
लोचन अनँत उघाड़िया, अनँत दिखावणहार॥
कबीर पिबन दुरलभ है, मांगे शीश कलाल।
सतगुर सवाँन को सगा, सोधी सईं न दाति।
हरिजी सवाँन को हितू, हरिजन सईं न जाति॥
सही हेतु है तासु का, जाको हरि से टेक
टेक निबाहै देह भरि, रहै सबद मिलि ऐक।
बलिहारी गुर आपणैं द्यौं हाड़ी कै बार।
जिनि मानिष तैं देवता, करत न लागी बार॥
सतगुर की महिमा, अनँत, अनँत किया उपगार।
लोचन अनँत उघाड़िया, अनँत दिखावणहार॥
सबै रसायन हम किया, प्रेम समान ना कोये
रंचक तन मे संचरै, सब तन कंचन होये।
राम नाम के पटतरे, देबे कौ कुछ नाहिं।
क्या ले गुर सन्तोषिए, हौंस रही मन माहिं॥
सतगुर के सदकै करूँ, दिल अपणी का साछ।
सतगुर हम स्यूँ लड़ि पड़ा महकम मेरा बाछ॥
यह तट वह तट ऐक है, ऐक प्रान दुइ गात
अपने जीये से जानिये, मेरे जीये की बात।
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