करना रे होय सो कर ले रे साधो लिरिक्स हिंदी मीनिंग Karna Re Hoy So Kar Le Re Sadho Lyrics Prahlad Singh Tipaniya Kabir Bhajan Lyrics
करनी करे तो क्यों डरे और कर ही क्यों पछताए,
तूने बोया पेड़ बबूल का, फिर आम कहां से खाए,
करनी का रजमा नहीं, थोथे बांधे तीर
बिरह बाण जिनको लगा, विकल होत शरीर
करनी बिन कथनी कथे अज्ञानी दिन रात
कूकर समान घूसत फिरे यह सुनी सुनाई बात
करना रे होय सो कर ले रे साधो
थारो मनक जनम दुहेलो है
लख चौरासी में भटकत भटकत
थारे अब के मिल्यो महेलो हैं
जप तप नेम वृत और पूजा
षट दर्शन को गैलो है
पार ब्रह्म को जानत नांहीं
सब भूल्या भूल्या भरम बहेलो है
करना रे होय सो कर ले रे साधो
कोई कहे हरि बसे वैकुंठा
कोई गौ लोक कहेलो है
कोई कहे शिव नगरी में साहिब
जुग जुग हाट बहेलो है
करना रे होय सो कर ले रे साधो
अणसमझ्या हरि दूर बतावे
कोई समझ्या साथ कहेलो है
सदगुरु सैण अमोलक दीन्ही
हर दम हर को गैलो है
करना रे होय सो कर ले रे साधो
जिया राम गुरु पूरा म्हाने मिल गया
कोई अजपा जाप जपेलो है
कहे बनानाथ सुनो भाई साधो
म्हारा सदगुरु जी को हेलो है
करना रे होय सो कर ले रे साधो
रजमा -ठौर/ठिकाना
थोथा -झूठा प्रदर्शण
विकल -व्याकुल और बेचैन
थोथा -झूठा प्रदर्शण
विकल -व्याकुल और बेचैन
कूकर -कुत्ता/स्वान
घूसत -घुसने /भौकना
कथनी/-बेवजह बोले जाना
मनक/मानिक -एक बहुमूल्य रत्न जो लाल रंग का होता है।
दुहेलो -बहुत कठिन, दुर्लभ
कथनी/-बेवजह बोले जाना
मनक/मानिक -एक बहुमूल्य रत्न जो लाल रंग का होता है।
दुहेलो -बहुत कठिन, दुर्लभ
महेलो -सुअवसर।
गैलो - रास्ता / राह
पार ब्रह्म- सबके ऊपर, ईश्वर, परमात्मा
भरम-भ्रम/ विस्मय कर उलझना की स्थिति।
बहेलो -बहकावे/ बहलावे में डूब जाना
साहिब -भगवान्, परमसत्ता
वैकुंठ -स्वर्ग / अमरापुर
सैण/सैन -इशारों में समझाना / आँखों से ईशारा करना
अमोलक -बहुत ही कीमती।
अजपा -जिसको जपा ना जा सके।
हेलो-आवाज देना / पुकारना।
गैलो - रास्ता / राह
पार ब्रह्म- सबके ऊपर, ईश्वर, परमात्मा
भरम-भ्रम/ विस्मय कर उलझना की स्थिति।
बहेलो -बहकावे/ बहलावे में डूब जाना
साहिब -भगवान्, परमसत्ता
वैकुंठ -स्वर्ग / अमरापुर
सैण/सैन -इशारों में समझाना / आँखों से ईशारा करना
अमोलक -बहुत ही कीमती।
अजपा -जिसको जपा ना जा सके।
हेलो-आवाज देना / पुकारना।
ऐसे देखि चरित मन मोह्यौ मोर, ताथैं निस बासुरि गुन रमौं तोर॥
इक पढ़हिं पाठ इक भ्रमें उदास इक नगन निरंतर रहै निवास॥
इक जोग जुगति तन हूंहिं खीन, ऐसे राम नाम संगि रहै न लीन॥
इक हूंहि दीन एक देहि दांन, इक करै कलापी सुरा पांन॥
इक तंत मंत ओषध बांन, इक सकल सिध राखै अपांन॥
इक तीर्थ ब्रत करि काया जीति, ऐसै राम नाम सूँ करै न प्रीति॥
इक धोम धोटि तन हूंहिं स्यान, यूँ मुकति नहीं बिन राम नाम॥
सत गुर तत कह्यौ बिचार, मूल गह्यौ अनभै बिसतार॥
जुरा मरण थैं भये धीर, राम कृपा भई कहि कबीर॥
इक पढ़हिं पाठ इक भ्रमें उदास इक नगन निरंतर रहै निवास॥
इक जोग जुगति तन हूंहिं खीन, ऐसे राम नाम संगि रहै न लीन॥
इक हूंहि दीन एक देहि दांन, इक करै कलापी सुरा पांन॥
इक तंत मंत ओषध बांन, इक सकल सिध राखै अपांन॥
इक तीर्थ ब्रत करि काया जीति, ऐसै राम नाम सूँ करै न प्रीति॥
इक धोम धोटि तन हूंहिं स्यान, यूँ मुकति नहीं बिन राम नाम॥
सत गुर तत कह्यौ बिचार, मूल गह्यौ अनभै बिसतार॥
जुरा मरण थैं भये धीर, राम कृपा भई कहि कबीर॥
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