चेतनि चौकी बैसि करि सतगुरु मीनिंग
चेतनि चौकी बैसि करि सतगुरु दीन्ही धीर हिंदी मीनिंग
चेतनि चौकी बैसि करि, सतगुरु दीन्ही धीर।
निरभै होइ निसंक भजि, केवल कहै कबीर ।
निरभै होइ निसंक भजि, केवल कहै कबीर ।
Chetani Chaukee Baisi Kari, Sataguru Deenhee Dheer.
Nirabhai Hoi Nisank Bhaji, Keval Kahai Kabeer .
चेतनि चौकी बैसि करि शब्दार्थ : पदार्थ - चेतना - चेतना, चैतन्य या ज्ञान, बैसि-बैठ, केवल केवल परम तत्त्व।
चेतनि चौकी बैसि करि दोहे का हिंदी मीनिंग : ईश्वर द्वैत नहीं है 'केवल ' से तात्पर्य है की द्वैत भाव को छोड़कर ईश्वर के नाम का सुमिरन करो। चेतना को जाग्रत करने के उपरांत चेतना की चौकी पर आसीन होकर सतगुरु ने धैर्य बंधाया की निर्भय होकर ईश्वर के नाम का सुमिरन करो, द्वैत की भावना को मत रखो। मात्र ज्ञान ही मुक्ति का आधार है। ज्ञान प्राप्ति के उपरांत चेतन चौकी स्वतः ही जाग्रत हो जाती है।
गुरु समान दाता नहीं, याचक सीष समान।
तीन-लोक की सम्पदा,सो गुरु दीन्ही दान।।
गुरु गुरु के समान इस संसार में कोई दूसरा दाता नहीं है। शिष्य के समान कोई मांगने वाला भी नहीं है। गुरु तो ऐसा होता है कि तीनों लोकों का ज्ञान शिष्य को दान के स्वरुप में दान कर देता है।
गुरु समान दाता नहीं, याचक सीष समान।
तीन-लोक की सम्पदा,सो गुरु दीन्ही दान।।
गुरु गुरु के समान इस संसार में कोई दूसरा दाता नहीं है। शिष्य के समान कोई मांगने वाला भी नहीं है। गुरु तो ऐसा होता है कि तीनों लोकों का ज्ञान शिष्य को दान के स्वरुप में दान कर देता है।
