चौंसठि दीवा जोइ करि चौदह चंदा मांहि हिंदी मीनिंग
चौंसठि दीवा जोइ करि, चौदह चंदा मांहि ।
तिहिं घरि किसकौ चानिणौ, जिहि घरि गोविंद नांहिं ॥
Chaunsathi Deeva Joi Kari, Chaudah Chanda Maanhi .
Tihin Ghari Kisakau Chaaninau, Jihi Ghari Govind Naanhin .
शब्दार्थ - दीवा = दीपक, चंदा = चंद्रमा, चौदह चन्द्रमा-चन्द्रमा की चौदह कलाएं, माहीं-के अंदर, तिहिं-उसमे, चानणो -प्रकाश उजाला, गोविन्द नाही -जहाँ पर गोविन्द का सुमिरण नहीं किया जाता है।
दोहे का हिंदी मीनिंग: यदि कोई व्यक्ति गोविन्द नाम का सुमिरण नहीं करता है (ईश्वर के नाम को याद नहीं रखता है ) तो उस व्यक्ति के घर पर चौसठ दीपकों और चौदह चंद्रमाओं (चन्द्रमा की चौदह कलाओं) का प्रकाश भी कर दिया जाय तो उस घर का अँधेरा कायम रहता है और उस घर में कोई प्रकाश नहीं रहता है। भाव है की ईश्वर के सुमिरण के अभाव में बाह्य साधनों से किया गया प्रकाश कोई मांयने नहीं रखता है जब तक की व्यक्ति के घट में ही अँधेरा है।
घट का अँधेरा तभी दूर होगा जब वह हृदय से ईश्वर के नाम का सुमिरण करे। व्यक्ति का शरीर ही घर है और उजाले से अभिप्राय ईश्वर के नाम का सुमिरण ही है। इसमें विशेषोशक्ति अलंकार का उपयोग हुआ है। दूसरे अर्थों में यदि इसका भाव लिया जाय तो समझे की पूजा अर्चना करना, मंदिर मस्जिद को जाना, तीर्थ करना और धार्मिक अनुष्ठान करवाने से भी हृदय का अँधेरा दूर नहीं होता है। हृदय के अँधेरे को दूर करने के लिए व्यक्ति को पवित्र मन से ईश्वर के नाम का सुमिरण करना पड़ता है। पवित्र हृदय में ही ईश्वर के नाम का प्रकाश पैदा होता है।