दया धर्म का मूल है पाप मूल संताप हिंदी मीनिंग Daya Dharm Ka Mool Hai Paap Mool Santaap Hindi Meaning Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit
दया धर्म का मूल है, पाप मूल संताप।
जहां क्षमा वहां धर्म है, जहां दया वहां आप।।
जहां क्षमा वहां धर्म है, जहां दया वहां आप।।
Daya Dharm Ka Mool Hai, Paap Mool Santaap.
Jahaan Kshama Vahaan Dharm Hai, Jahaan Daya Vahaan Aap
Jahaan Kshama Vahaan Dharm Hai, Jahaan Daya Vahaan Aap
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग : धर्म का मूल स्तम्भ ही दया है, धर्म की जड़ दया है। सभी संकट और दुखों का कारण पाप ही है। पाप संताप की मूल (जड़) है। धर्म वहीँ है जहाँ पर क्षमा और दया जैसे मानवीय गुण हैं। जहाँ दया है वहीँ आप 'ईश्वर' हैं। बड़े ही सरल शब्दों में गूढ़ रहस्य है की दया/क्षमा जैसे मानवीय गुण ही भक्ति का आधार हैं और जहाँ ये मानवीय गुण हैं वहीं पर ईश्वर का वास है।
आतम पूजा जीव दया पर आतम की सेवा
कहे कबीर हरि नाम भज सहज परम पद लेवा
कहे कबीर हरि नाम भज सहज परम पद लेवा
भले जाय बद्री (बद्रीनाथ), भले जाय गया
कहे कबीर सुनो भाई साधो, सबसे बडी दया
कहे कबीर सुनो भाई साधो, सबसे बडी दया
दया भाव ह्रदय नहीं, ज्ञान थके बेहद।
ते नर नरक ही जायेंगे, सुनी सुनी साखी शब्द।।
ते नर नरक ही जायेंगे, सुनी सुनी साखी शब्द।।
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
- आसा का ईंधन करूँ मनसा करुँ विभूति मीनिंग Asha Ka Indhan Karu Meaning Kabir Dohe
- कबीर हद के जीव सूँ हित करि मुखाँ न बोलि हिंदी मीनिंग Kabir Had Ke Jeev Su Meaning Kabir Dohe
- कबीर तुरी पलांड़ियाँ चाबक लीया हाथि मीनिंग Kabir Turi Paladiya Meaning Kabir Dohe
- कबीर सेरी साँकड़ी चंचल मनवाँ चोर मीनिंग Kabir Seri Sankadi Meaning Kabir Dohe
- कबीर केवल राम कहि सुध गरीबी झालि मीनिंग Kabir Kewal Ram Kahi Meaning Kabir Dohe
- कहत सुनत जग जात है विषै न सूझै काल मीनिंग Kahat Sunat Jag Jaat Hai Meaning Kabir Dohe