माला तिलक लगाय के भक्ति न आई हाथ मीनिंग
माला तिलक लगाय के भक्ति न आई हाथ
दाढ़ी मूंछ मुढ़ाय के, चले दुनी के साथ
Maala Tilak Lagaay Ke Bhakti Na Aaee Haath
Daadhee Moonchh Mudhaay Ke, Chale Dunee Ke Saath
माला तिलक लगाय के भक्ति न आई हाथ दोहे की हिंदी मीनिंग: बाहरी आडंबर धारण करने से भक्ति प्राप्त नहीं की जा सकती है, दाढ़ी मूंछ बढ़ाकर दुनिया में जैसे अन्य लोग चले जा रहे हैं, उनका ही अनुसरण कर सकते हैं। भक्ति आंतरिक है बाहरी वेश भूषा से उसका कुछ लेना देना नहीं है। जैसे भेड़ को हर साल मूंडा जाता है फिर भी वह अमरापुर (स्वर्ग ) को नहीं जाती है, ऐसे ही वन का रींछ बाल बढ़ा लेने मात्र से ईश्वर प्राप्ति का अधिकारी नहीं बन जाता है। इश्वर किसी तीर्थ, मंदिर और मस्जिद विशेष में नहीं रहता है वह तो कण कण में व्याप्त है लेकिन उसे प्राप्त करने के लिए बाहरी आडम्बर छोड़ करके मन की ज्योति को जाग्रत करना पड़ता है। आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं