माटी कहे कुम्हार से तु क्या रौंदे मोय मीनिंग
माटी कहे कुम्हार से,तु क्या रौंदे मोय।
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूंगी तोय
या
माटी कहै कुम्हार सो, क्या तू रौंदे मोहि
एक दिन ऐसा होयगा, मैं रौंदूँगी तोहि
Maatee Kahe Kumhaar Se, tu Kya Raunde Moy.
Ek Din Aisa Aaega, Main Raundoongee Toy
Maatee Kahai Kumhaar So, Kya Too Raunde Mohi
Ek Din Aisa Hoyaga, Main Raundoongee Tohi, Or
Mati Kahe Kumhar Se Tu Kya Ronde Moy,
Ek Din esa Aayega Main Rondungi Toy.
माटी = मिट्टी; कुम्हार = potter; रौंदे fr. रौंदना = to trample [to knead]; तोय = तुझे
कबीर दोहे का हिंदी मीनिंग : समय सबसे बलवान होता है और समय की गति से ही परिणाम तय होते हैं। माटी कुम्हार से कहती है की तुम मुझे क्या रोंदते हो, एक दिन ऐसा आएगा जब तुम्हारा विनाश हो जाएगा और तुम भी माटी में मिल जाओगे/मैं तुम्हे रौंदूंगी। समय के अनुसार सभी के दिनमान आते हैं, ऐसे ही एक रोज व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त होगा जो अमित सत्य है, इसलिए किसी को भी अभिमान नहीं करना चाहिए, काल किसी को छोड़ने वाला नहीं है। अहम् को साहेब ने भक्ति में बाधक माना है इसलिए अहम् को शांत करना अत्यंत आवश्यक है। काल के विषय में साहेब के अन्य विचार हैं -
यह भी देखें You May Also Like
जो उगै सो आथवै, फूले सो कुम्हिलाय
जो चुने सो ढ़हि पड़ै, जनमें सो मरि जाय
जो उगता है उसे छिपना होता है (आथना ) जो आज पुष्पित हो रहा है वो एक रोज मुरझा जायेगा। जिसका निर्माण (चुने) हुआ है वह एक रोज ढहेगा और जिसन जन्म लिया है उसकी मौत भी निश्चित ही है।
आस पास जोधा खड़े, सबै बजावै गाल
मंझ महल से ले चला, ऐसा परबल काल
मृत्यु/काल निश्चित ही आएगा और उसे किसी बल से रोका नहीं जा सकता है। यदि बाहुबल से काल को रोकना संभव होता तो राजा महाराजाओं के आस पास सुरक्षा के लिए बहुत से बाहुबली खड़े रहते थे। काल उनके बीच से राजा को उठा ले जाता है और वे गाल बजाते हुए ही रह जाते हैं।
काल फिरै सिर ऊपरै, हाथों धरी कमान
कहैं कबीर अहु ज्ञान को, छोड़ सकल अभिमान
काल सर पर मंडरा रहा है और किसी को पता नहीं वह कब किस को अपना शिकार बना ले। कबीर साहेब का कथन है की अन्य सभी ज्ञान को छोड़ कर, सकल अभिमान को छोड़कर गुरु के ज्ञान में ही अपना मन लगाना चाहिए, यही मुक्ति का आधार है।
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं