रे मन जाहि जहाँ तोहि भावै हिंदी मीनिंग कबीर के दोहे

रे मन जाहि जहाँ तोहि भावै हिंदी मीनिंग Re Man Jahi Jahan Tovi Bhave Hindi Meaning Kabir Ke Pad Hindi Meaning


रे मन जाहि जहाँ तोहि भावै,
अब न कोई तेरे अंकुश लावै।।

जहाँ जहाँ जाइ तहाँ तहाँ राँमा, हरि पद चीन्हि कियो विश्रामा ।
तन रंजित तब देखियत दोई, प्रगट्यो ज्ञान जहाँ तहाँ सोई।।
लीन निरंतर वपु बिसराया, कहै कबीर सुख सागर पाया।।
 
रे मन जाहि जहाँ तोहि भावै हिंदी मीनिंग Re Man Jahi Jahan Tovi Bhave Hindi Meaning Kabir Ke Pad Hindi Meaning


कबीर दोहे का हिंदी मीनिंग : माया के जाल को काट जब हरी रस का पान कर लिया है तो तू (मन ) अब कहीं भी जा मैं (कबीर साहेब ) तुझपर कोई अंकुश नहीं लगाऊंगा। तू जहाँ भी जाएगा वहीँ पर राम के नाम का वास है। हरी के चरणों को तुमने पहचान लिया है और वहां (हरी चरणों ) में तुम विश्राम करने लगे हो। माया के जाल में फंसे व्यक्ति को हर जगह लोभ और लालच दिखाई देता है लेकिन हरी रस को पीने वाला व्यक्ति हर जगह राम को ही पाटा है। द्वैत का भाव तब समाप्त हो जाता है। 
 
जीवन के सच्चे ज्ञान की प्राप्ति हो जाने के बात उसे हर जगह राम ही दिखाई देता है और सब एक समान हो जाता है। पूर्ण ब्रह्म की प्राप्ति तभी सम्भव हो पाती है जब व्यक्ति हरी के नाम का सुमिरन करने लग जाता है और उसके रस में भीग जाता है। स्थान का अब उसके कोई असर नहीं होता है, मन कहीं भी विचरण करें कोई अंतर् नहीं है क्योंकि हर जगह, हर वस्तु, कण कण में राम है। ऐसी कोई जगह नहीं बचती है जहां उसे राम ना दिखाई दे। माया का जाल कट चूका है और ज्ञान का उदय हो चूका है, यही ज्ञान राम रस है।

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