तत पाया तन बिसरया जब मनि धारिया ध्यान मीनिंग
तत पाया तन बिसरया, जब मनि धारिया ध्यान।
तपनि गई सीतल भया, जब सुनि किया स्नान।।
Tat Paaya Tan Bisaraya, Jab Mani Dhaariya Dhyaan.
Tapani Gaee Seetal Bhaya, Jab Suni Kiya Snaan
दोहे के शब्दार्थ : तत - तत्त्व, तन - शरीर, बीसर्या - विस्मृत, मनि = मन में, तपनन, सुनने = शून्य चक्र।
दोहे का हिंदी मीनिंग: जब तत्व को (परम ब्रह्म ) पा लिया तो इसके उपरांत देह का भान (देह होने का आभास ) समाप्त हो गया। तन मन की तपन शीतल हो गयी जब 'शून्य' में स्नान किया। शून्य से भाव (शून्य चक्र -शहस्त्रार ) में स्नान करने, ईश्वर के मिलन होने पर 'अहम्' छूट जाता है। ब्रह्मनाद ही शून्य है जहाँ पर समय रुक जाता है। तपन से भाव माया जनित विकार हैं। स्वंय के होने का एहसास समाप्त होने का भाव है की द्वैत भाव समाप्त हो गया है और जीव परमात्मा में समा जाता है, पृथक से कुछ भी प्रतीत नहीं होता है।
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