साधु ऐसा चाहिए जैसा सूप सुभाय हिंदी अर्थ मीनिंग Sadhu Aisa Chahiye Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth / Bhavarth Sahit
साधु ऐसा चाहिए जैसा सूप सुभाय।सार-सार को गहि रहै थोथा देई उडाय।
Sadhu Aisa Chahiye Jaisa Soop Subhay,
Sar Sar Ko Gahi Rahe, Thotha Dei Uday.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
संतजन ऐसा होना चाहिए जैसे की अनाज साफ़ करने का सूप होता है। सूप थोथे को उड़ा देता है और अनाज को अलग कर देता है। ऐसे ही साधू भी व्यक्ति के गुणों को प्रकाशित करके अवगुणों को दूर कर देते हैं। सार्थक को वे ग्रहण कर लेते हैं और निर्थक को उड़ा देते हैं। संसार में कई तरह के विचार से व्यक्ति ओत पोत रहता है। लेकिन संतजन ही साधक को अच्छे की तरफ अग्रसर करते हैं। कबीर दास जी के इस दोहे का भावार्थ यह है कि एक सज्जन पुरुष को अपने जीवन में केवल अच्छी चीजों को ही ग्रहण करना चाहिए और बुरी चीजों को छोड़ देना चाहिए। जैसे सूप में अनाज के दानों को अलग कर दिया जाता है, वैसे ही सज्जन पुरुष को भी अपने जीवन से सभी प्रकार की बुराईयों को दूर करना चाहिए। उसे केवल सत्य, प्रेम, दया, करुणा और परोपकार जैसी अच्छी चीजों को ही अपनाना चाहिए।
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