पतंजलि कुल्या भस्म मिश्रण ( कुल्या मिश्रण ) Patanjali Kulya Bhasm Mishran (kulya Mishran) Usage and Benefits
भस्म क्या होती है : आयुर्वेद चिकित्सा की पद्धति में बहुत ही पूर्व से धातुओं का उपयोग चकित्सीय लाभ के लिए किया जाता रहा है, चिकित्सा के लिए धातुओं का उपयोग होता रहा है। ऐसी मान्यता है की धातुओं के गुणों को पहचान कर उनसे चिकित्सा हेतु दवा बनाने की परम्परा 2500 ईसा पूर्व में चीनी और मिस्र की सभ्यता में भी वर्णित है। भस्म में धातु को शास्त्रीय तरीके से बनाया जाता है जिसे हर्बल रस या काढ़े के साथ इलाज हेतु दिया जाता है। आयुर्वेद में विभिन्न प्रकार की पुरानी बीमारियों के उपचार के लिए व्यापक रूप से भस्म का उपयोग किया जाता है। जहाँ किसी भी धातु से बनने वाली पिस्टी सौम्य होती है वहीँ अपर भस्म कुछ गरम तासीर की होती है। भस्म का अर्थ है किसी धातु को गर्म करके निश्चित रस आदि में बुझाना।सबसे पहले धातु शुद्धिकरण की एक विस्तृत प्रक्रिया से गुजरती है और इसमें कुछ अन्य खनिजों और / या हर्बल अर्क (गुलाब जल, गोमूत्र आदि ) का समावेश होता है। भस्म के विभिन्न महत्व हैं जैसे पुरानी बिमारियों के इलाज के लिए, हानिकारक एसिड को बेअसर करना जो बीमारी का कारण बनते हैं; क्योंकि भस्म को चयापचय नहीं मिलता है, इसलिए वे किसी भी हानिकारक मेटाबोलाइट का उत्पादन कर सकते हैं, बल्कि यह शरीर में भारी धातुओं को तोड़ता है। भस्म में धातु के कण आकार काफी कम हो जाता है, जो शरीर के सिस्टम में दवा के अवशोषण और आत्मसात करने में सुपाच्य होता है।
एक प्रश्न है की भस्म कैसे इतनी प्रभावी हो जाती है की वो जटिल रोगों को समाप्त करने में सक्षम होती है , जबकि इसका कच्चा माल (सापेक्ष धातु या रत्न ) यानी जिस धातु या रत्न से इसका निर्माण होता है वह गुणों में इतना प्रभावशाली नहीं होता है । वस्तुतः यह नैनोटेक्नोलॉजी के मूल सिद्धांत पर आधारित है जिसमे किसी धातु के आकार और वजन को कम करना और इसकी गुणवत्ता को कई गुना बढ़ाना होता है। ऐसा करने पर भस्म की प्रभावकारिता काफी बढ़ जाती है। इस प्रकार इस तरह की प्रभावकारिता के साथ भस्म और शरीर द्वारा आसानी से स्वीकार किए जाने पर शरीर की कोशिकाओं में धातु या रत्न द्वारा आवश्यक इलाज को पूरा करने में सक्षम है।
भस्म का मानकीकरण अत्यंत आवश्यक है, इसलिए निवेदन है की वैद्य की राय से प्रतिष्ठित निर्माता के ही भस्म खरीदें क्योंकि यदि इसे बनाने में लापरवाही या फिर मानकों का पालन नहीं किया जाय तो भस्म नुक्सान देह भी हो सकती है।
पतंजलि कुल्या भस्म मिश्रण ( कुल्या मिश्रण ) क्या है : पतंजलि आयुर्वेदा की यह भस्म मिश्रण कई भस्म को निश्चित अनुपात में मिलाकर तैयार किया गया एक मिश्रण है जो की तंत्रिका तंत्र और मस्तिष्क के विकारों में लाभदायी होता है।
पतंजलि कुल्या भस्म मिश्रण ( कुल्या मिश्रण ) के घटक क्या है :इस मिश्रण में निम्न अन्य भस्म/पिस्टी का उपयोग किया जाता है जिनके स्वतंत्र रूप से अपने लाभ हैं।
https://www.patanjaliayurved.net/product/ayurvedic-medicine/bhasma/kulya-mishran/82
पतंजलि कुल्या भस्म मिश्रण ( कुल्या मिश्रण ) के विषय में पतंजलि का कथन :
परम पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने इस विडियो| में पतंजलि फ़ूड एंड हर्बल पार्क भस्म निर्माण इकाई के बारे में बताये हैं | यह आयुर्वेद का कपिकुपी विभाग हैं और यहा कज्जली गंधक व पारद के योग से तैयार की जाती हैं और इसको घंटो तक खरल में घुटाई की जाती हैं और इसको बोतलों में भरा जाता हैं और इसको यह की भट्ठियो में रखा जाता हैं और रेत के अंदर रखा जाता हैं और इसके बाद जो इसका लाक होता हैं और इसके बाद बोतल उपर लाक लग जाता हैं और उस बोतल को तोड़कर उसे निकाला जाता हैं , और उसे ताल सिंदूर कहते हैं और इसे रस सिंदूर और इसे रस रसायन के इस्तेमाल से सनातन व बहुत ही वैज्ञानिक परम्परा हैं इस इकाई में चांदी की भस्म की घुटाई हो रही हैं चांदी को अलग अलग जडीबुटीयो में औषधीय में शुद्ध करके व अलग अलग औषधीयों के रस डालकर खरल में घुटाई की जाती हैं और इसकी घुटाई कर सकोरो में डालकर आग में तैयार की जाती हैं और यह भस्म तैयार होता हैं और यह पर हीरे का भस्म भी तैयार की जाती हैं और यह कुल्थी का रस हिंग सेंध नमक व अलग अलग काढ़े डालकर फिर उसकी जब घुटाई की जाती हैं तो रेडिस कलर का हो जाता हैं और यह पर सोने का भस्म तैयार की जाता हैं और यह सोना का कलर करीब करीब मठमैला जैसा हो गया हैं और यह चांदी जैसा रंग हो जाता हैं और अलग अलग औषधीयों का रस डालते हैं
पतंजलि कुल्या भस्म मिश्रण ( कुल्या मिश्रण ) क्या है : पतंजलि आयुर्वेदा की यह भस्म मिश्रण कई भस्म को निश्चित अनुपात में मिलाकर तैयार किया गया एक मिश्रण है जो की तंत्रिका तंत्र और मस्तिष्क के विकारों में लाभदायी होता है।
पतंजलि कुल्या भस्म मिश्रण ( कुल्या मिश्रण ) के घटक क्या है :इस मिश्रण में निम्न अन्य भस्म/पिस्टी का उपयोग किया जाता है जिनके स्वतंत्र रूप से अपने लाभ हैं।
- KAPARDAK BHASMA
- MUKTA SHUKTI BHASMA
- GODANTI HARTAL BHASMA
- PRAVAL PISTI (Read More : Praval Pisti Usages and Benefits )
- RAJAT BHASMA
पतंजलि कुल्या भस्म मिश्रण ( कुल्या मिश्रण ) के लाभ
- तंत्रिका तंत्र को शक्ति मिलती है।
- मस्तिष्क विकारों में अत्यंत ही लाभकारी यथा मिर्गी, मस्तिष्क की कमजोरी आदि।
- मस्तिष्क को मजबूत बनाकर स्मरण शक्ति का विकास करता है।
- यदि शरीर में कैल्शियम की कमी हो जाए तो यह मिश्रण उपयोगी होता है।
- गोदन्ती भस्म के घटक के रूप में होने पर हड्डियों की कमजोरी भी दूर होती है।
- मानसिक तनाव को कम करने में सहायक। पतंजलि कुल्या भस्म मिश्रण ( कुल्या मिश्रण ) की तासीर : इसकी तासीर गर्म होती है।
पतंजलि कुल्या भस्म मिश्रण ( कुल्या मिश्रण ) के सेवन की मात्रा और विधि
यह शुद्ध रूप से वैद्य की राय के ऊपर निर्धारित होती है। रोग के प्रकार, रोगी की आयु, और अन्य दवाओं के योग के अनुसार इसे वैद्य के निरीक्षण में ही लिया जाना चाहिए अन्यथा इसके दुष्परिणाम हो सकते हैं। इसकी मात्रा भी आपके शरीर की तासीर और उम्र के आधार पर वैद्य के द्वारा ही निश्चित की जाती है। इसके लिए आप पतंजलि चिकित्सालय पर उपलब्ध वैद्य से राय अवश्य लेवे जो की निशुल्क है।पतंजलि कुल्या भस्म मिश्रण ( कुल्या मिश्रण ) कहाँ से खरीदें
यह दवा आप वैद्य के परामर्श के उपरान्त पतली स्टोर्स से क्रय कर सकते हैं। आप इसे ऑनलाइन खरीदने के लिए पतंजलि आयुर्वेदा की अधिकृत वेबसाइट पर विजिट करें, जिसका लिंक निचे दिया गया है -https://www.patanjaliayurved.net/product/ayurvedic-medicine/bhasma/kulya-mishran/82
पतंजलि कुल्या भस्म मिश्रण ( कुल्या मिश्रण ) की कीमत
१० ग्राम मिश्रण की कीमत रुपये ८० हैं। नवीनतम जानकारी के लिए पतंजलि की वेबसाइट पर विजिट करें।पतंजलि कुल्या भस्म मिश्रण ( कुल्या मिश्रण ) के विषय में पतंजलि का कथन :
Divya KulyaBhasma Mishran is a very effective medicine that prevents neurological disorders like epilepsy, hysteria attacks, etc. It nourishes and boosts the brain and nervous system and soothes any brain damages from injury or disease which could be the root cause for epileptic attacks. Divya KulyaBhasma Mishran is prepared through a very elaborate procedure to extract the best from herbs and plants. It therefore has no side effects. Take Divya Kulya Bhasma Mishran for lasting recovery from nervous disorders. Patanjali Precious Bhasma Manufacturer Department | Patanjali Ayurveda
परम पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने इस विडियो| में पतंजलि फ़ूड एंड हर्बल पार्क भस्म निर्माण इकाई के बारे में बताये हैं | यह आयुर्वेद का कपिकुपी विभाग हैं और यहा कज्जली गंधक व पारद के योग से तैयार की जाती हैं और इसको घंटो तक खरल में घुटाई की जाती हैं और इसको बोतलों में भरा जाता हैं और इसको यह की भट्ठियो में रखा जाता हैं और रेत के अंदर रखा जाता हैं और इसके बाद जो इसका लाक होता हैं और इसके बाद बोतल उपर लाक लग जाता हैं और उस बोतल को तोड़कर उसे निकाला जाता हैं , और उसे ताल सिंदूर कहते हैं और इसे रस सिंदूर और इसे रस रसायन के इस्तेमाल से सनातन व बहुत ही वैज्ञानिक परम्परा हैं इस इकाई में चांदी की भस्म की घुटाई हो रही हैं चांदी को अलग अलग जडीबुटीयो में औषधीय में शुद्ध करके व अलग अलग औषधीयों के रस डालकर खरल में घुटाई की जाती हैं और इसकी घुटाई कर सकोरो में डालकर आग में तैयार की जाती हैं और यह भस्म तैयार होता हैं और यह पर हीरे का भस्म भी तैयार की जाती हैं और यह कुल्थी का रस हिंग सेंध नमक व अलग अलग काढ़े डालकर फिर उसकी जब घुटाई की जाती हैं तो रेडिस कलर का हो जाता हैं और यह पर सोने का भस्म तैयार की जाता हैं और यह सोना का कलर करीब करीब मठमैला जैसा हो गया हैं और यह चांदी जैसा रंग हो जाता हैं और अलग अलग औषधीयों का रस डालते हैं
10 - 15 किलो का एक वेस तैयार होता हैं और इसको एक महीने का वक्त लगता हैं सोने का हीरे का और चांदी का तो 25 - 50 किलो का वेस तैयार किया जाता हैं और उसके लिए लगातार प्रक्रिया और 100% शुद्ध व प्रमाणित और ऋषियों ने भस्म बनाने के लिए विधान किया हैं , हीरे का भस्म सोने का भस्म चांदी की भस्म तैयार होती हैं | यह दिव्य फार्मेसी भस्म निर्माण की इकाई हैं मंडोर भस्म लोह भस्म अप्रक भस्म त्रिभंग भस्म इनको अलग अलग औषधीयों के साथ घुटाई कर के इनको शुद्ध करते हैं और इनको घुटाई करके खरल में डालकर कूट देते हैं और इसको साथ में फर्निश के अंदर कूट दी जाती हैं और यह पर वैज्ञानिक तकनीकी का इस्तेमाल किया जाता हैं इस फर्निश के अंदर बहुत ही ज्यादा आग होता हैं और जिस तरह से इसमें आग मिलती हैं वो आग गोसो की मात्रा में नही मिल पाता और आग की जितनी सम्पर्क में आयेगी भस्मे उतनी अच्छी बनेगी
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The author of this blog, Saroj Jangir (Admin),
is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a
diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me,
shares insights based on ancient Ayurvedic texts such as Charak
Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from
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and to highlight the significance of natural remedies in Ayurveda.