हरी शरणम् हरी शरणम्
हरी शरणम् श्री हरि शरणम्
राम शरणम् राम शरणम्
राम शरणम् सीता राम शरणम्
श्याम शरणम् श्याम शरणम्
श्याम शरणम् श्याम शरणम्
श्याम शरणम् राधे श्याम शरणम्
हरी शरणम् हरी शरणम्
हरी शरणम् श्री हरि शरणम्
शिवा शरणम् शिवा शरणम्
शिवा शरणम् शिवा शरणम्
शिवा शरणम् उमा शिवा शरणम्
हरी शरणम् हरी शरणम्
हरी शरणम् श्री हरि शरणम्
गुरु शरणम् गुरु शरणम्
गुरु शरणम् गुरु शरणम्
गुरु शरणम् सद्गुरु शरणम्
हरी शरणम् हरी शरणम्
हरी शरणम् श्री हरि शरणम्
मात शरणम् मात शरणम्
मात शरणम् मात शरणम्
मात शरणम् मात शरणम्
मात शरणम् मात पिता शरणम्
हरी शरणम् हरी शरणम्
हरी शरणम् श्री हरि शरणम्
हरि शरणम, हरि शरणम, हरि शरणम हरि शरणम by P.P.Sant Shri Ramesh Bhai Oza Ji
Harī śaraṇam harī śaraṇam
harī śaraṇam śrī hari śaraṇam
rāma śaraṇam rāma śaraṇam
rāma śaraṇam sītā rāma śaraṇam
śyāma śaraṇam śyāma śaraṇam
śyāma śaraṇam śyāma śaraṇam
śyāma śaraṇam rādhē śyāma śaraṇam
harī śaraṇam harī śaraṇam
harī śaraṇam śrī hari śaraṇam
śivā śaraṇam śivā śaraṇam
śivā śaraṇam śivā śaraṇam
śivā śaraṇam umā śivā śaraṇam
harī śaraṇam harī śaraṇam
harī śaraṇam śrī hari śaraṇam
guru śaraṇam guru śaraṇam
guru śaraṇam guru śaraṇam
guru śaraṇam sadguru śaraṇam
harī śaraṇam harī śaraṇam
harī śaraṇam śrī hari śaraṇam
māta śaraṇam māta śaraṇam
māta śaraṇam māta śaraṇam
māta śaraṇam māta śaraṇam
māta śaraṇam māta pitā śaraṇam
harī śaraṇam harī śaraṇam
harī śaraṇam śrī hari śaraṇam
हरी शरणम एक ऐसा मन्त्र है जो जीवन के सभी दुःख दर्दों का अंत तो करता ही है और लम्बे आरोग्य जीवन की और अग्रसर भी करता है। नित्य इस मन्त्र रूपी भजन को सुनने और गाने से जीवन की सभी पीड़ाओं का अंत होता है। जाप करने वाले की आयु स्थिर हो जाती है। भगवान सदैव उसकी आत्मा में निवास करते है। दूसरों को सुख देने जैसा कोई पुण्य नहीं है। जो व्यक्ति दूसरों को सुख देता है वही संत है। संत का हृदय दूसरों के दुख से दुखी एवं सुख से सुखी होता है। एक बार देवर्षि नारद विचरण करते हुए वृंदावन पहुंचे। वहां भक्ति अपने बेहद दुखी थी। उनके दोनों पुत्र ज्ञान एवं बैराज अचेत पड़े थे। ऐसे में नारद जी भक्ति के दुख को दूर करने की जुगत में लग गए। उस समय आकाशवाणी हुई कि नारद जी का उद्योग सफल तो होगा लेकिन इसके लिए रास्ता कोई संत ही बता सकता है। ऐसे में भगवान नारद ने समस्त साधु संतों की कुटिया पर दस्तक दी, लेकिन कहीं भी समाधान नहीं निकला। ऐसे में थक हार कर वह उत्तराखंड की ओर चल दिए। रास्ते में उन्हें सनतकुमार मिले। सनतकुमारों ने उनसे दुख का कारण पूछा तो नारद जी उनसे भी वही आकाशवाणी की बात बताई और भक्ति के दुखों का निवारण पूछा। वहीं सनतकुमारों ने कहा कि वह तो पांच साल के बालक हैं, कैसे नारद जैसे महात्मा के सवालों का जवाब दे सकते है। तब नारद जी ने उन्हें बताया कि हरि शरणम मंत्र के जाप की वजह से उनकी आयु अभी तक पांच साल पर थम गई है, लेकिन ज्ञान में वह उनसे भी आगे है।
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