हम परदेसी पंछी बाबा अणी देस रा नाहीं लिरिक्स Hum Pardesi Panchi Baba Ani Des Ra Nahi Lyrics

हम परदेसी पंछी बाबा अणी देस रा नाहीं लिरिक्स Hum Pardesi Panchi Baba Ani Des Ra Nahi Lyrics Popular Kabir Bhajan By Madhup Mudgal Ji

 
हम परदेसी पंछी बाबा अणी देस रा नाहीं लिरिक्स Hum Pardesi Panchi Baba Ani Des Ra Nahi Lyrics

हम परदेसी पंछी बाबा
अणी देस रा नाहीं, हो जी
अणी देस रा, लोग अचेता
पल पल पर पछ्ताई, भाई संतो
अणी देसरा नाहीं...
मुख बिन गाना, पग बिन चलना
बिना पंख उड़ जाई, हो जी
बिना मोह की सूरत हमारी
अनहद मे रम जाई, भाई संतो
अणी देसरा नाहीं...
छाया बैठूं, अगनी व्यापे,
धूप अधिक सितलाई, हो जी
छाया धूप से सतगुरु न्यारा
हम सतगुरु के मांही, भाई संतो
अणी देसरा नाहीं...
आठों पहर अडग रहे आसन
कदे न उतरे साईं, हो जी
मन पवना दोनों नहीं पहुंचे
उन्ही देस रा मांही, भाई संतो
अणी देसरा नाहीं...
निरगुण रूपी है मेरे दाता
सरगुण नाम धराई, हो जी
कहे कबीर सुनो भाई साधो
साहब है घट मांही, भाई संतो
अणी देसरा नाहीं... 

Ham pardesi panchhi baba
Ani des ra naahin, ho ji
Ani des ra log acheta
Pal pal par pachhtaai, bhaai santo
Ani des ra naahin...
Mukh bin gaana, pag bin chalna
Bina pankh ud jaai, ho ji
Bina moh ki soorat hamaari
Anhad mein ram jaai, bhaai santo
Ani des ra naahin...
Chhaaya baithhun agni vyaapai
Dhoop adhik sitlaai, ho ji
Chhaaya dhoop se satguru nyaara
Ham satguru ke maahin, bhaai santo
Ani des ra naahin...
Aathhon pahar adag rahe aasan
Kade na utare saayeen, ho ji
Mann pavana donon nahin pahunche
Uni des ra maahin, bhaai santo
Ani des ra naahin...
Nirgun roopi hai mera daata
Satguru naam dharaai, ho ji
Kahe Kabir suno bhaai saadho
Saahib hai ghat maahin, bhaai santo
Ani des ra naahi
n...
 

हम परदेसी
हम परदेसी
पंछी बाबा
अणी देसरा नाही
हम परदेसी पंछी बाबा
अणी देसरा नाही
अणी देस रा
अणी देस रा
लोग अचेता
अणी देस रा
लोग अचेता
पल पल पार पछताई भाई संतो
अणी देसरा नाही
हम परदेसी पंछी बाबा
अणी देसरा नाही
मुख बिन गाना
पग बिन चलना
बिना पंख उड जाई हो
मुख बिन गाना
पग बिन चलना
बिना पंख उड जाई हो
बिना मोह की सुरत हमारी
बिना मोह की सुरत हमारी
अनहद मे रम जाई भाई संतो
अणी देसरा नाही
हम परदेसी पंछी बाबा
अणी देसरा नाही
छाया बैठू अगनी व्यापे
धूप अधिक सितलाई हो
छाया बैठू अगनी व्यापे
धूप अधिक सितलाई हो
छाया धूप से
छाया धूप से सतगुरु न्यारा
छाया धूप से सतगुरु न्यारा
हम सतगुरु के भाई भाई संतो
अणी देसरा नाही
हम परदेसी पंछी बाबा
अणी देसरा नाही
आठो पहर अडक रहे आसन
कदे न उतरे शाही
आठो पहर अडक रहे आसन
कदे न उतरे शाही
मन पवन दोनो
मन पवन दोनो
मन पवन दोनो नही पहुंचे
मन पवन दोनो नही पहुंचे
अणी देसरा नाही
हम परदेसी पंछी बाबा
निरगुण रूप
निरगुण रूप है मेरे दाता
सरगुण नाम धराई
निरगुण रूप है मेरे दाता
सरगुण नाम धराई
कहे कबीरा
कबीरा
कहे कबीर सुनो भाई साधो
कहे कबीर
सुनो भाई साधो
कहे कबीर
सुनो भाई साधो
कहे कबीर सुनो भाई साधो
कहे कबीर सुनो भाई साधो
सतगुरु है हम माहीं भाई संतो
अणी देसरा नाही
अणी देसरा नाही
अणी देस रा लोग अचेता
अणी देसरा नाही 

आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url