हम परदेसी पंछी बाबा अणी देस रा नाहीं

हम परदेसी पंछी बाबा अणी देस रा नाहीं

 
हम परदेसी पंछी बाबा अणी देस रा नाहीं लिरिक्स Hum Pardesi Panchi Baba Ani Des Ra Nahi Lyrics

हम परदेसी पंछी बाबा
अणी देस रा नाहीं, हो जी
अणी देस रा, लोग अचेता
पल पल पर पछ्ताई, भाई संतो
अणी देसरा नाहीं...
मुख बिन गाना, पग बिन चलना
बिना पंख उड़ जाई, हो जी
बिना मोह की सूरत हमारी
अनहद मे रम जाई, भाई संतो
अणी देसरा नाहीं...
छाया बैठूं, अगनी व्यापे,
धूप अधिक सितलाई, हो जी
छाया धूप से सतगुरु न्यारा
हम सतगुरु के मांही, भाई संतो
अणी देसरा नाहीं...
आठों पहर अडग रहे आसन
कदे न उतरे साईं, हो जी
मन पवना दोनों नहीं पहुंचे
उन्ही देस रा मांही, भाई संतो
अणी देसरा नाहीं...
निरगुण रूपी है मेरे दाता
सरगुण नाम धराई, हो जी
कहे कबीर सुनो भाई साधो
साहब है घट मांही, भाई संतो
अणी देसरा नाहीं... 


Hum Pardesi I Vedanth & Radhika Sood I Rajasthan Kabir Yatra 2017
हम परदेसी
हम परदेसी
पंछी बाबा
अणी देसरा नाही
हम परदेसी पंछी बाबा
अणी देसरा नाही
अणी देस रा
अणी देस रा
लोग अचेता
अणी देस रा
लोग अचेता
पल पल पार पछताई भाई संतो
अणी देसरा नाही
हम परदेसी पंछी बाबा
अणी देसरा नाही
मुख बिन गाना
पग बिन चलना
बिना पंख उड जाई हो
मुख बिन गाना
पग बिन चलना
बिना पंख उड जाई हो
बिना मोह की सुरत हमारी
बिना मोह की सुरत हमारी
अनहद मे रम जाई भाई संतो
अणी देसरा नाही
हम परदेसी पंछी बाबा
अणी देसरा नाही
छाया बैठू अगनी व्यापे
धूप अधिक सितलाई हो
छाया बैठू अगनी व्यापे
धूप अधिक सितलाई हो
छाया धूप से
छाया धूप से सतगुरु न्यारा
छाया धूप से सतगुरु न्यारा
हम सतगुरु के भाई भाई संतो
अणी देसरा नाही
हम परदेसी पंछी बाबा
अणी देसरा नाही
आठो पहर अडक रहे आसन
कदे न उतरे शाही
आठो पहर अडक रहे आसन
कदे न उतरे शाही
मन पवन दोनो
मन पवन दोनो
मन पवन दोनो नही पहुंचे
मन पवन दोनो नही पहुंचे
अणी देसरा नाही
हम परदेसी पंछी बाबा
निरगुण रूप
निरगुण रूप है मेरे दाता
सरगुण नाम धराई
निरगुण रूप है मेरे दाता
सरगुण नाम धराई
कहे कबीरा
कबीरा
कहे कबीर सुनो भाई साधो
कहे कबीर
सुनो भाई साधो
कहे कबीर
सुनो भाई साधो
कहे कबीर सुनो भाई साधो
कहे कबीर सुनो भाई साधो
सतगुरु है हम माहीं भाई संतो
अणी देसरा नाही
अणी देसरा नाही
अणी देस रा लोग अचेता
अणी देसरा नाही 
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English translation of the song -

I'm a bird from another country, baba,
I don't belong to this country.
The people in this country are unconscious,
every moment sunk in regret,
brothers, seekers, I don't belong
to this country.

I sing without a mouth
walk without feet
fly without wings.
Awareness free
of illusion, I play
in the limitless.

Sitting in shadow, I’m on fire.
In sunlight, I’m cool.
My true guru is beyond
sun or shade.
I dwell in the guru.

Stick to your posture
day and night
but the lord won't descend.
Wise ones and meditators
have worked themselves to death
in that country.

The great giver whose form
is formless
takes on the form
of a name.
Mind and breath
can never reach
that country.

Head, toes, eyes
this body
the true teacher has transformed
beyond death.

Kabir says, meet
the formless!
You're free
from death and decay. 
 
यह संसार एक परदेश है, जहाँ आत्मा एक परदेसी पंछी के समान है, जो इस नश्वर जगत से परे अपने असली ठिकाने की तलाश में भटकती है। यहाँ के लोग अज्ञान में डूबे हैं और क्षण-क्षण में अपने कर्मों पर पछताते हैं, परंतु सच्चा सुख केवल सतगुरु के सान्निध्य में ही मिलता है। आत्मा बिना मोह के उस अनहद नाद में रम जाती है, जहाँ न मुख से गान की आवश्यकता है, न पैरों से चलने की, न पंखों से उड़ने की। सतगुरु की शरण में वह परम शांति पाती है, जो इस संसार की छाया-धूप और अग्नि से परे है। साधक का मन और प्राण जब सतगुरु के चरणों में स्थिर हो जाते हैं, तो वह उस अनंत देश की ओर बढ़ता है, जहाँ साईं सदा विराजमान हैं।

कबीर जी कहते हैं कि सतगुरु का निरगुण रूप और उनका सगुण नाम ही वह सत्य है, जो भक्त के हृदय में निवास करता है। यह संसार और इसके सारे आडंबर नश्वर हैं, पर सतगुरु का आशीर्वाद भक्त को उस परम धाम तक ले जाता है, जहाँ मन और पवन की सीमाएँ समाप्त हो जाती हैं। साधक को चाहिए कि वह आठों पहर सतगुरु के ध्यान में अडिग रहे, क्योंकि यही वह मार्ग है जो उसे इस परदेश से मुक्त कर साहब के घट-माहीं दर्शन कराता है। जो साधक सतगुरु की शरण में रहकर उनके नाम का स्मरण करता है, वह इस नश्वर संसार के भ्रम से मुक्त होकर अनंत शांति और सत्य को प्राप्त करता है।
 
Vocal - Vedanth Bharadwaz & Radhika Sood Nayak 

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