करारविन्दे न पदार्विन्दम लिरिक्स Kararvinde Na Padarvindam Lyrics

करारविन्दे न पदार्विन्दम लिरिक्स Kararvinde N padarvindam Lyrics By Shri Ramesh Bhai Ji Oza

 
करारविन्दे न पदार्विन्दम लिरिक्स Kararvinde N padarvindam Lyrics By Shri Ramesh Bhai Ji Oza

 Kararvinde na padarvindam
mukhar vinde vinve shayantam
vatasya patrasya pute shayanam
balam mukundam mansa smarami

करार विन्दे न पादारविन्दं
मुखार विन्दे विनवे शयन्तम्
वटस्य पत्रस्य पुटे शयानम् बालं मुकुन्दंमनसा स्मरामि

shree krishna Govind hare murari
hey nath Narayana Vasudeva
jihve pibasva murutame tadev
Govind Damodar madhaveti
Govind Damodar madhaveti

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी
हे नाथ नारायण वासुदेवः
जिह्वे पिबस्वः मुरुतमे तादेवः
गोविन्द दामोदर माधवेति
गोविन्द दामोदर माधवेति

Vikretu kamakil gop kanya
murari padarpit chitta vritthi
dadhyaadikam moh vashad vochad
Govind damodar madhaveti

विक्रेतु कामकिल गोप कन्या
मुरारी पदार्पित चित्तः वृत्ति
दद्यादिकम् मोह वशद वोचद्
गोविन्द दामोदर माधवेति

Gruhe gruhe Gop vadhu kadamba
sarve militwa sam vapya yogam
punyani namani pathanti nityam
Govind Damodar Madhaveti

गृहे गृहे गोप वधु कदम्बा
सर्वे मिलित्व सम वाप्य योगं
पुण्यानी नामनिम पठन्ति नित्यम्
गोविन्द दामोदर माधवेति

Sukham Shayanam nilaye nijepi
namani vishnuh pravadanti martyaha
te nicshitam tanmayatam vrajanti
Govind Damodar madhaveti

सुखं शयानम् निलये निजेपि
नामणि विष्णु प्रवादन्ति मार्तयः
ते निक्षितम् तनमायतम् व्रजन्ति
गोविन्द दामोदर माधवेति
 

 
करारविन्दे न पदारविंदम Kararvinde n Padarvindam by P P Shri Ramesh Bhai Oza Ji
Jihave sadaivan bhajsundarani
namani Krishnasya manoharani
samasta bhaktarti veenashani
Govind Damodar madhaveti

जिह्वे सदैवम् भजसुन्दरानी
नामानी कृष्णस्य मनोहरानी
समस्त भक्तार्ति विनाशनी
गोविन्द दामोदर माधवेति

sukhavasami idmev saram
sukhavasane idmev gneyam
deha vasane idmev japyam
Govind Damodar Madhhaveti

सुखावसामी इदमेव सरम
सुखावसानिइदमेव ग्नेयं
देहःवासनी इदमेव जपं
गोविन्द दामोदर माधवेति

Shree Krishna Radhavar var gokulam
Gopal Govardhan nath vishnuh
Jihve Pibasva mrutame tadev
Govind damodar madhaveti

श्री कृष्ण राधावर वर गोकुलम्
गोपाल गोवर्धन नाथ विष्णुः जिह्वे पिबस्व मृतमे तदेवः
गोविन्द दामोदर माधवेति

Tvameva yache mam dehi jihave
samagte dand dhare krutante
vaktvya mevam madhuram subhakta
Govind damodar madhaveti

त्वमेव याचे मम देहि जिह्वे
समगते दंड धरे कृतान्ते
वकत्वय मेवं मधुरं सभकते
गोविन्द दामोदर माधवेति

Jihve rasagne madhur priya twam
satyam hitam tvam parmam vadami
aavarana yetha madhuraksharani
Govind Damodar Madhaveti

जिह्वे रसगने मधुर प्रियत्वम्
सत्यम हितं तवं परमं वदामि
आवरणा यथा मधुरक्शराणी
गोविन्द दामोदर माधवेति
करार विन्दे न पदार विन्दम् ,
मुखार विन्दे विनिवेश यन्तम् ।
वटस्य पत्रस्य पुटे शयानम् ,
बालम् मुकुंदम् मनसा स्मरामि ॥ १ ॥

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे,
हे नाथ नारायण वासुदेव ।
जिव्हे पिबस्वामृतमेतदेव,
गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ २ ॥

विक्रेतु कामा किल गोप कन्या,
मुरारि - पदार्पित - चित्त - वृति ।
दध्यादिकम् मोहवसाद वोचद्,
गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ ३ ॥

घृहे - घृहे गोप वधु कदम्बा,
सर्वे मिलित्व समवाप्य योगम् ।
पुण्यानी नामानि पठन्ति नित्यम्,
गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ ४ ॥

सुखम् शयाना निलये निजेपि,
नामानि विष्णो प्रवदन्ति मर्त्याः ।
ते निचितम् तनमय - ताम व्रजन्ति,
गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ ५ ॥

जिव्हे सदैवम् भज सुंदरानी,
नामानि कृष्णस्य मनोहरानी ।
समस्त भक्तार्ति विनाशनानि,
गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ ६ ॥

सुखावसाने तु इदमेव सारम्,
दुःखावसाने तु इद्मेव गेयम् ।
देहावसाने तु इदमेव जाप्यं,
गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ ७ ॥

श्री कृष्ण राधावर गोकुलेश,
गोपाल गोवर्धन - नाथ विष्णो ।
जिव्हे पिबस्वामृतमेतदेव,
गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ ८ ॥

जिव्हे रसज्ञे मधुर - प्रियात्वं,
सत्यम हितम् त्वां परं वदामि ।
आवर्णयेता मधुराक्षराणि,
गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ ९ ॥

त्वामेव याचे मम देहि जिव्हे,
समागते दण्ड - धरे कृतान्ते ।
वक्तव्यमेवं मधुरं सुभक्त्या ,
गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ १० ॥

श्री नाथ विश्वेश्वर विश्व मूर्ते,
श्री देवकी - नन्दन दैत्य - शत्रो ।
जिव्हे पिबस्वामृतमेतदेव,
गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ ११ ॥
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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2 टिप्पणियां

  1. १२ वा श्लोक
    गोपी पते कंसरीपो मुकुंदमं
    लक्ष्मी पते केशव वासु देवम्
    जिव्हे पिबस्वामृतमेतदेव,
    गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ १२ ॥
  2. १२ वा श्लोक
    गोपी पते कंसरीपो मुकुंदमं
    लक्ष्मी पते केशव वासु देवम्
    जिव्हे पिबस्वामृतमेतदेव,
    गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ १२ ॥

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