मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई Mujhe Meri Masti Kahan Leke Aayi Shri Ramesh Bhai Oza
मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई
जहाँ मेरे अपने सिवा कुछ नाही
जहाँ मेरे अपने सिवा कुछ नाही
मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई
मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई
पता जब लगा मेरी हस्ती का मुझको
पता जब लगा मेरी
पता जब लगा मेरी हस्ती का मुझको
सिवा मेरे अपने कहीं कुछ नाही
मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आ ..आ ...आई
सभी में सभी में पड़ा मैं ही मैं हूँ
सिवा मेरे अपने कहीं कुछ नाही
मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आ ..आ
मुझे मेरी मस्ती
न दुःख है न सुख है, ना है शोक कुछ भी
अजब है ये मस्ती या कुछ नाही ..
मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आई
ये सागर ये लहरें ये फेन ये बुदबुदे
कल्पित है जल के सिवा कुछ नाही
मुझे मेरी मस्ती कहा लेके आई
मैं हूँ आनंद, आनंद हैं ये मेरा
भ्रम है, ये द्वन्द है, मुझाको हुआ है
हटाया जो उसको खफा कुछ नाही
मुझे मेरी मस्ती कहा लेके आई
ये पर्दा है दुई का,हटा कर जो देखा
तो बस एक मैं हूँ . जुदा कुछ नाही
मुझे मेरी मस्ती कहा लेके आई
Mujhe Meri Masti Kahan Le Ke Aayi by Param Pujya s
mujhe meree mastee kahaan leke aaee
mujhe meree mastee kahaan leke aaee
jahaan mere apane siva kuchh naahee
jahaan mere apane siva kuchh naahee
mujhe meree mastee kahaan leke aaee
mujhe meree mastee kahaan leke aaee
pata jab laga meree hastee ka mujhako
pata jab laga meree
pata jab laga meree hastee ka mujhako
siva mere apane kaheen kuchh naahee
mujhe meree mastee kahaan leke aa ..aa ...aaee
sabhee mein sabhee mein pada main hee main hoon
siva mere apane kaheen kuchh naahee
mujhe meree mastee kahaan leke aa ..aa
mujhe meree mastee
na duhkh hai na sukh hai, na hai shok kuchh bhee
ajab hai ye mastee ya kuchh naahee ..
mujhe meree mastee kahaan leke aaee
ye saagar ye laharen ye phen ye budabude
kalpit hai jal ke siva kuchh naahee
mujhe meree mastee kaha leke aaee
main hoon aanand, aanand hain ye mera
bhram hai, ye dvand hai, mujhaako hua hai
hataaya jo usako khapha kuchh naahee
mujhe meree mastee kaha leke aaee
ye parda hai duee ka,hata kar jo dekha
to bas ek main hoon . juda kuchh naahee
mujhe meree mastee kaha leke aaee
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Author - Saroj Jangir
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