कवि कबीर
नैहरवा हमका न भावै
साईं की नगरी परम अति सुन्दर, जहाँ कोई जाय न आवै
चाँद सूरज जहाँ पवन न पानी, को संदेस पहुंचावै
दरद यह साईं को सुनावै?
नैहरवा...
आगे चलो पंथ नहीं सूझे, पीछे दोष लगावै
केहि विधि ससुरे जाऊँ मोरी सजनी, विरह जोर जरावै
विषय रस नाच नचावै
नैहरवा...
बिन सतगुरू अपनो नहीं कोई जो यह राह बतावै
कहत कबीरा सुनो भाई साधो सपने नु पीतम आवै
तपन यह जिया की बुझावै
नैहरवा...
नैहरवा हमका न भावै लिरिक्स Neharava Hamaka Na Bhave Lyrics
'Naiharva' by Bindhumalini & Vedanth
Naiharva
POET Kabir
Naiharva hamka na bhaavai
Saain ki nagari param ati sundar, jahaan koi jaaye na aavai
Chaand sooraj jahaan pavan na paani, ko sandes pahunchaavai
Darad yah saain ko sunaavai?
Naiharva…
Aage chalo panth nahin soojhe, peechhe dosh lagaavai
Kehi vidhi sasure jaaun mori sajni, virah jor jaraavai
Vishay ras naach nachaavai
Niharva…
Bin satguru apno nahin koi jo yah raah bataavai
Kahat Kabira suno bhai saadho, sapne nu peetam aavai
Tapan yah jiya ki bujhaavai
Naiharva…
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