सेठों का सेठ खाटू वाला अपना तो सेठ भजन
दुनिया में दातार बहुत हैं, दिखला दे दातारी,
दुनिया में दातार बहुत हैं, दिखला दे दातारी,
छोटा मोटा माल कमा कर, बन बैठे व्यापारी,
सेठों का सेठ खाटू वाला, अपना तो सेठ मुरली वाला,
खाटू में दरबार लगा, बैठा है सरकार वहाँ,
खाटू में दरबार लगा, बैठा है सरकार वहाँ,
श्याम धणी जैसा जग में, और कोई दातार कहाँ,
श्याम धणी जैसा जग में, और कोई दातार कहाँ,
सारी दुनिया से वो निराला, अपना तो सेठ मुरली वाला,
सारी दुनिया से वो निराला अपना तो सेठ मुरली वाला,
जो भी दर पर जाते है, सब झोली फैलाते है
रोते रोते जाते है हस्ते हँसते आते है,
सब की झोली में उस ने डाला,
सारी दुनिया से वो निराला, अपना तो सेठ मुरली वाला,
सारी दुनिया से वो निराला अपना तो सेठ मुरली वाला,
जब से नाम लिया उसका तब से मुझको देख रहा,
बैठा बैठा मांगू मैं बैठा बैठा भेज रहा,
किस्मत का खोला मेरा ताला,
सारी दुनिया से वो निराला, अपना तो सेठ मुरली वाला,
सारी दुनिया से वो निराला अपना तो सेठ मुरली वाला,
दो हाथो से माँगू मैं, सौ हाथो से देता है,
दो हाथो से माँगू मैं, सौ हाथो से देता है,
थोड़ा थोड़ा माँगूँ मैं, वो लाखो में देता,
थोड़ा थोड़ा माँगूँ मैं, वो लाखो में देता,
वनवारी सेठ है दिलावा,
सारी दुनिया से वो निराला, अपना तो सेठ मुरली वाला,
सारी दुनिया से वो निराला अपना तो सेठ मुरली वाला,
दुनिया में दातार बहुत हैं, दिखला दे दातारी,
दुनिया में दातार बहुत हैं, दिखला दे दातारी,
छोटा मोटा माल कमा कर, बन बैठे व्यापारी,
सेठों का सेठ खाटू वाला, अपना तो सेठ मुरली वाला,
दुनिया में दातार बहुत हैं, दिखला दे दातारी,
छोटा मोटा माल कमा कर, बन बैठे व्यापारी,
सेठों का सेठ खाटू वाला, अपना तो सेठ मुरली वाला,
खाटू में दरबार लगा, बैठा है सरकार वहाँ,
खाटू में दरबार लगा, बैठा है सरकार वहाँ,
श्याम धणी जैसा जग में, और कोई दातार कहाँ,
श्याम धणी जैसा जग में, और कोई दातार कहाँ,
सारी दुनिया से वो निराला, अपना तो सेठ मुरली वाला,
सारी दुनिया से वो निराला अपना तो सेठ मुरली वाला,
जो भी दर पर जाते है, सब झोली फैलाते है
रोते रोते जाते है हस्ते हँसते आते है,
सब की झोली में उस ने डाला,
सारी दुनिया से वो निराला, अपना तो सेठ मुरली वाला,
सारी दुनिया से वो निराला अपना तो सेठ मुरली वाला,
जब से नाम लिया उसका तब से मुझको देख रहा,
बैठा बैठा मांगू मैं बैठा बैठा भेज रहा,
किस्मत का खोला मेरा ताला,
सारी दुनिया से वो निराला, अपना तो सेठ मुरली वाला,
सारी दुनिया से वो निराला अपना तो सेठ मुरली वाला,
दो हाथो से माँगू मैं, सौ हाथो से देता है,
दो हाथो से माँगू मैं, सौ हाथो से देता है,
थोड़ा थोड़ा माँगूँ मैं, वो लाखो में देता,
थोड़ा थोड़ा माँगूँ मैं, वो लाखो में देता,
वनवारी सेठ है दिलावा,
सारी दुनिया से वो निराला, अपना तो सेठ मुरली वाला,
सारी दुनिया से वो निराला अपना तो सेठ मुरली वाला,
दुनिया में दातार बहुत हैं, दिखला दे दातारी,
दुनिया में दातार बहुत हैं, दिखला दे दातारी,
छोटा मोटा माल कमा कर, बन बैठे व्यापारी,
सेठों का सेठ खाटू वाला, अपना तो सेठ मुरली वाला,
ग्यारस के दिन इस संपूर्ण भजन को सुने श्याम बाबा की हमेशा कृपा बनी रहेगी !! JAY SHANKAR CHAUDHARY
विश्व में अनेक व्यक्ति और शक्ति दान देने वाले हैं, पर उनमें से विशिष्ट और अविस्मरणीय वह है जो सभी का समर्पण और विश्वास अपनी ओर खींचता है। यह समर्पण केवल भौतिक वस्तुओं तक सीमित नहीं रहता बल्कि वह निर्बाध आशीर्वाद का सुलभ स्रोत है, जो मनुष्य की छोटी से छोटी आवश्यकता को भी बड़ी उदारता से पूरा करता है। वह दाता न केवल वस्तुओं के आधार पर बल्कि अपने प्रेम, करुणा, और स्नेह से सभी के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि लिए आता है। उसकी दया अनंत है, और उसकी उपस्थिति से ही जीवन के कठिन पलों में भी आशा की किरण फूटती है।
जब वाणी में उसके नाम का जप होता है तो मन की आलसी और अनिश्चितता दूर हो जाती है। उसकी कृपा से व्यक्ति की किस्मत का ताला खुल जाता है और वह छोटी-छोटी मांगों में भी बड़े उपहार प्राप्त करता है। उसका स्वरूप न केवल बाहरी रूप से बल्कि अंतरात्मा की गहराइयों में भी उज्जवल प्रकाश की तरह चमकता है, जो हर दर्द को कम कर देता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि उसकी महिमा सम्पूर्ण जीवन को बदलने वाली है; वह केवल एक साधारण दाता नहीं, अपितु प्रेम, विश्वास और समर्पण का सार है।
जब वाणी में उसके नाम का जप होता है तो मन की आलसी और अनिश्चितता दूर हो जाती है। उसकी कृपा से व्यक्ति की किस्मत का ताला खुल जाता है और वह छोटी-छोटी मांगों में भी बड़े उपहार प्राप्त करता है। उसका स्वरूप न केवल बाहरी रूप से बल्कि अंतरात्मा की गहराइयों में भी उज्जवल प्रकाश की तरह चमकता है, जो हर दर्द को कम कर देता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि उसकी महिमा सम्पूर्ण जीवन को बदलने वाली है; वह केवल एक साधारण दाता नहीं, अपितु प्रेम, विश्वास और समर्पण का सार है।
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Author - Saroj Jangir
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