यह तन विष की बेलरी गुरु अमृत की खान-हिंदी मीनिंग,Yah Tan Vish Ki Belari Guru Amrit Ki Khan-Hindi Meaning,Kabir Ke Dohe in Hindi
यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान।
शीश दियो जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान।
Yah Tan Vish Kee Belaree, Guru Amrt Kee Khaan.
Sheesh Diyo Jo Guru Mile, To Bhee Sasta Jaan.
Sheesh Diyo Jo Guru Mile, To Bhee Sasta Jaan.
कबीर दोहे का हिंदी मीनिंग / Kabir Dohe Hindi Meaning
मानव देह विभिन्न विषय प्रकार के विषय वासना और विकारों से भरे पड़े हैं । काम, क्रोध, लालच, इर्ष्या और मद जैसे विकार आदि सभी विषय और विकार हैं जो जीव को ईश्वर प्राप्ति मार्ग से विमुख करते हैं और उसके अमूल्य जीवन को व्यर्थ ही गँवा देते हैं । गुरु अमृत की खान, उत्पत्ति का द्वार है जो जीव को वस्तु स्थिति का ज्ञान करवाता है और उसे सद्मार्ग की और अग्रसर करता है । सद्मार्ग का ज्ञान होना बहुत जरुरी है क्योंकि बगैर सद्मार्ग के व्यक्ति को ज्ञान ही नहीं होता है की उसके जीवन का उद्देश्य क्या है, उसे जीवन में क्या करना है और उसका आखरी घर कौनसा है । यह ज्ञान गुरु देता है इसलिए ही गुरु गोविन्द से भी बड़ा बताया गया है ।
जीव को ईश्वर का सुमिरण करना और नेक और सद्मार्ग का अनुसरण करते हुए भव सागर से पार जाना है । ऐसा ज्ञान देने वाला गुरु यदि शीश देने के उपरान्त भी यदि मिल जाए तो उसे सस्ता ही जानना चाहिए । प्राचीन समय में गुरु और आश्रम की व्यवस्था ही सर्वमान्य रही और इसी लिए गुरु का स्थान सबसे ऊँचा रखा गया था । उस समय के गुरु भी 'वास्तविक गुरु' हुआ करते थे जिनका अनुसरण पूरा समाज किया करता था । वर्तमान में समाज की दुर्दशा का कारण भी यही है की गुरुओं का अभाव सा हो गया है जिसके कारण से वर्तमान में जिस समाज में हम रह रहे हैं वो किसी से छुपा हुआ नहीं है।
- पोथी पढ़ी पढ़ी जग मुआ, पंडित भया ना कोय कबीर के दोहे
- जब मैं था हरी नाहीं, अब हरी है मैं नाही कबीर के दोहे हिंदी
- कबीर संगत साधु की ज्यों गंधी की बांस कबीर दोहे हिंदी में
- ऊँचे कुल में जनमियाँ करनी ऊंच ना होय कबिर के दोहे
- करे बुराई सुख चहे कबीर दोहा हिंदी में
- मेरे मन में पड़ी गई एक ऐसी दरार कबीर दोहे हिंदी मीनिंग