ऐसा कर दो श्रृंगार सब देखते रह भजन
ऐसा कर दो श्रृंगार सब देखते रह जाएँ भजन
जब साँवरा सजता है, सारी दुनियाँ सजती है,
इसे इत्र छिड़कते है,सारी दुनियाँ महकती है,
बागों का हर एक फूल, गजरे में लग जाएँ,
बागों का हर एक फूल, गजरे में लग जाएँ,
ऐसा कर दो श्रृंगार, सब देखते रह जाएँ,
सजने का है शौकीन, कोई कसर ना रह जाएँ,
ऐसा कर दो श्रृंगार, सब देखते रह जाएँ,
क्या उसको सजाओगे, जो सबको सजाता है,
क्या उसको सजाओगे, जो सबको सजाता है,
क्या उसको खिलाओगे, जो सब को खिलाओगे,
क्या उसको खिलाओगे, जो सब को खिलाओगे,
बस भाव के सागर में, मेरा श्याम डूब जाएँ,
ऐसा कर दो श्रृंगार, सब देखते रह जाएँ,
सजने का है शौकीन, कोई कसर ना रह जाएँ,
ऐसा कर दो श्रृंगार, सब देखते रह जाएँ,
बस इतना ध्यान रखना, इतना ना सज जाएँ,
बस इतना ध्यान रखना, इतना ना सज जाएँ,
ऐसा कर दो श्रृंगार, सब देखते रह जाएँ,
इस सारी श्रष्टि की इसे नजर ना लग जाएँ,
इस सारी श्रष्टि की इसे नजर ना लग जाएँ,
ये शुभम रूपम तेरे भावों के भजन गायें,
ये शुभम रूपम तेरे भावों के भजन गायें,
सजने का है शौकीन, कोई कसर ना रह जाएँ,
ऐसा कर दो श्रृंगार, सब देखते रह जाएँ,
ऐसा कर दो श्रृंगार, सब देखते रह जाएँ,
सजने का है शौकीन, कोई कसर ना रह जाएँ,
ऐसा कर दो श्रृंगार, सब देखते रह जाएँ,
इसे इत्र छिड़कते है,सारी दुनियाँ महकती है,
बागों का हर एक फूल, गजरे में लग जाएँ,
बागों का हर एक फूल, गजरे में लग जाएँ,
ऐसा कर दो श्रृंगार, सब देखते रह जाएँ,
सजने का है शौकीन, कोई कसर ना रह जाएँ,
ऐसा कर दो श्रृंगार, सब देखते रह जाएँ,
क्या उसको सजाओगे, जो सबको सजाता है,
क्या उसको सजाओगे, जो सबको सजाता है,
क्या उसको खिलाओगे, जो सब को खिलाओगे,
क्या उसको खिलाओगे, जो सब को खिलाओगे,
बस भाव के सागर में, मेरा श्याम डूब जाएँ,
ऐसा कर दो श्रृंगार, सब देखते रह जाएँ,
सजने का है शौकीन, कोई कसर ना रह जाएँ,
ऐसा कर दो श्रृंगार, सब देखते रह जाएँ,
बस इतना ध्यान रखना, इतना ना सज जाएँ,
बस इतना ध्यान रखना, इतना ना सज जाएँ,
ऐसा कर दो श्रृंगार, सब देखते रह जाएँ,
इस सारी श्रष्टि की इसे नजर ना लग जाएँ,
इस सारी श्रष्टि की इसे नजर ना लग जाएँ,
ये शुभम रूपम तेरे भावों के भजन गायें,
ये शुभम रूपम तेरे भावों के भजन गायें,
सजने का है शौकीन, कोई कसर ना रह जाएँ,
ऐसा कर दो श्रृंगार, सब देखते रह जाएँ,
ऐसा कर दो श्रृंगार, सब देखते रह जाएँ,
सजने का है शौकीन, कोई कसर ना रह जाएँ,
ऐसा कर दो श्रृंगार, सब देखते रह जाएँ,
श्याम बाबा का श्रृंगार भजन MANYA ARORA JI की मधुर आवाज़ में PRAYAS EK KADAM PRABHU KI OR
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हृदय में एक ऐसी प्रेममयी लौ प्रज्वलित हुई है, जो सांसारिक बंधनों को भस्म कर केवल उस परम प्रिय की ओर ले जाती है। यह प्रेम इतना गहरा है कि मन उसकी मोहक छवि में खो जाता है, और संसार की सारी रीतियां, सामाजिक मर्यादाएं और बाहरी चकाचौंध इसके सामने तुच्छ हो जाती हैं। यह एक ऐसी मस्ती है, जो न केवल मन को बावरा बना देती है, बल्कि आत्मा को उस सत्ता के साथ एकाकार कर देती है। इस प्रेम में डूबा मन न तो समाज की परवाह करता है, न ही उसकी व्याख्या की चिंता। यह एक ऐसी डोर है, जो मोहन के साथ बंधी है, और इस बंधन में सारा जग, उसकी रीतियां और उसकी अपेक्षाएं बेमानी हो जाती हैं। हर पल उसकी स्मृति में डूबा मन केवल उसी की मूरत को हृदय में बसाए रखता है, और यह प्रेम सांसारिक समझ से परे एक अनन्य अनुभूति बन जाता है।
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Author - Saroj Jangir
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