अपनी भगतिया सतगुरु साहब भजन Apani Bhagatiya Satguru Sahab

अपनी भगतिया सतगुरु साहब भजन Apani Bhagatiya Satguru Sahab Bhajan

 
अपनी भगतिया सतगुरु साहब भजन लिरिक्स Apani Bhagatiya Satguru Sahab Bhajan Lyrics

अपनी भगतिया सतगुरु साहब, मोहि कृपा करि देहु हो।।
जुगन-जुगन भव भटकत बीते, अब भव बाहर लेहु हो ॥१॥

पशु पक्षी कृमि आदिक योनिन, में भरमेउ बहु बार हो ।
नर तन अबहिं कृपा करि दीन्हों, अब प्रभु करो उबार हो ॥२॥

हरहु भव दुख देहु अमर सुख, सर्व दाता समरथ हो।।
जो तुम चाहिहु होइहिं सोई, सब कुछ तुम्हरे हत्थ हो ॥३॥

करहु अनुग्रह प्रीतम साहब, तुम अंशक मैं अंश हो ।
तम सरज मैं किरण तुम्हारी, तुम वंशक मैं वंश हो ।।४।।

मोहि तोहि इतनेहि भेद हो साहब, यहि भेद भव दुःख मूल हो।
करो कृपा नासो यहि भेदहि, होउ अति ही अनुकूल हो ॥५॥

आस त्रास भय भाव सकल ही, मम मन कर जत जाल हो।
सकल सिमिटि तम्हरो पद लागे,“ही' के यहि अर्ज हाल हो,



आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

इस ब्लॉग पर आप पायेंगे मधुर और सुन्दर भजनों का संग्रह । इस ब्लॉग का उद्देश्य आपको सुन्दर भजनों के बोल उपलब्ध करवाना है। आप इस ब्लॉग पर अपने पसंद के गायक और भजन केटेगरी के भजन खोज सकते हैं....अधिक पढ़ें

+

एक टिप्पणी भेजें