गीत नया गाता हूँ Geet Naya Gaata Hu Lyrics Atal Bihari Ji Poems
श्री अटल बिहारी बाजपई जी की "अटल" रचना "गीत नए गाता हूँ" के बोल निचे दिए गए हैं, आपको अवश्य ही पसंद आएगी यह कविता।
गीत नहीं गाता हूँ
बेनकाब चेहरे हैं,दाग बड़े गहरे हैं
टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ
लगी कुछ ऐसी नज़र बिखरा शीशे सा शहर
अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ
पीठ मे छुरी सा चाँद, राहू गया रेखा फांद
मुक्ति के क्षणों में बार बार बँध जाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर
पत्थर की छाती मे उग आया नव अंकुर
झरे सब पीले पात कोयल की कुहुक रात
प्राची मे अरुणिम की रेख देख पता हूँ
गीत नया गाता हूँ
टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी
अन्तर की चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी
हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा,
काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
बेनकाब चेहरे हैं,दाग बड़े गहरे हैं
टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ
लगी कुछ ऐसी नज़र बिखरा शीशे सा शहर
अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ
पीठ मे छुरी सा चाँद, राहू गया रेखा फांद
मुक्ति के क्षणों में बार बार बँध जाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर
पत्थर की छाती मे उग आया नव अंकुर
झरे सब पीले पात कोयल की कुहुक रात
प्राची मे अरुणिम की रेख देख पता हूँ
गीत नया गाता हूँ
टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी
अन्तर की चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी
हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा,
काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
गीत नहीं गाता हूँ, गीत नहीं गाता हूँ
बेनकाब चेहरे हैं दाग बड़े गहरे हैं
टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ, गीत नहीं गाता हूँ
लगी कुछ ऐसी नज़र, बिखरा शीशे का शहर,
अपनों के मेले में, मीत नहीं पता हूँ ,
पीठ में छूरी सा चाँद, राहु गया रेखा फान्द,
मुक्ति के शानो में, बंध जाता हूँ,
गीत नहीं गाता हूँ, गीत नहीं गाता हूँ
गीत नया गाता हूँ, गीत नया गाता हूँ
टूटे हुए तारों से फूटे वासंती स्वर
पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर
झरे सब पीले पात, कोयल की कुहुक रात
प्राची में, अरुणिमा की रेत देख पाता हूँ
गीत नया गाता हूँ, गीत नया गाता हूँ
टूटे हुए सपने की सुने कौन, सिसकी
अंतर को चीर व्यथा, पलकों पर ठिठकी
हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा
काल के कपाल पर, लिखता-मिटाता हूँ
गीत नया गाता हूँ, गीत नया गाता हूँ
-स्व. अटल विहारी वाजपेयी
बेनकाब चेहरे हैं दाग बड़े गहरे हैं
टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ, गीत नहीं गाता हूँ
लगी कुछ ऐसी नज़र, बिखरा शीशे का शहर,
अपनों के मेले में, मीत नहीं पता हूँ ,
पीठ में छूरी सा चाँद, राहु गया रेखा फान्द,
मुक्ति के शानो में, बंध जाता हूँ,
गीत नहीं गाता हूँ, गीत नहीं गाता हूँ
गीत नया गाता हूँ, गीत नया गाता हूँ
टूटे हुए तारों से फूटे वासंती स्वर
पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर
झरे सब पीले पात, कोयल की कुहुक रात
प्राची में, अरुणिमा की रेत देख पाता हूँ
गीत नया गाता हूँ, गीत नया गाता हूँ
टूटे हुए सपने की सुने कौन, सिसकी
अंतर को चीर व्यथा, पलकों पर ठिठकी
हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा
काल के कपाल पर, लिखता-मिटाता हूँ
गीत नया गाता हूँ, गीत नया गाता हूँ
-स्व. अटल विहारी वाजपेयी
अटल बिहारी वाजपेयी की कविता: 'काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूं, गीत नया गाता हूं' Git Nahin Gaata Hun
Benakaab Chehare Hain,daag Bade Gahare Hain
Tutata Tilism Aaj Sach Se Bhay Khaata Hun
Git Nahin Gaata Hun
Lagi Kuchh Aisi Nazar Bikhara Shishe Sa Shahar
Apanon Ke Mele Mein Mit Nahin Paata Hun
Git Nahin Gaata Hun
Pith Me Chhuri Sa Chaand, Raahu Gaya Rekha Phaand
Mukti Ke Kshanon Mein Baar Baar Bandh Jaata Hun
Git Nahin Gaata Hun
Git Naya Gaata Hun
Tute Hue Taaron Se Phute Baasanti Svar
Patthar Ki Chhaati Me Ug Aaya Nav Ankur
Jhare Sab Pile Paat Koyal Ki Kuhuk Raat
Praachi Me Arunim Ki Rekh Dekh Pata Hun
Git Naya Gaata Hun
Tute Hue Sapanon Ki Kaun Sune Sisaki
Antar Ki Chir Vyatha Palakon Par Thithaki
Haar Nahin Maanunga, Raar Nahin Thaanunga,
Kaal Ke Kapaal Pe Likhata Mitaata Hun
Git Naya Gaata Hun
Benakaab Chehare Hain,daag Bade Gahare Hain
Tutata Tilism Aaj Sach Se Bhay Khaata Hun
Git Nahin Gaata Hun
Lagi Kuchh Aisi Nazar Bikhara Shishe Sa Shahar
Apanon Ke Mele Mein Mit Nahin Paata Hun
Git Nahin Gaata Hun
Pith Me Chhuri Sa Chaand, Raahu Gaya Rekha Phaand
Mukti Ke Kshanon Mein Baar Baar Bandh Jaata Hun
Git Nahin Gaata Hun
Git Naya Gaata Hun
Tute Hue Taaron Se Phute Baasanti Svar
Patthar Ki Chhaati Me Ug Aaya Nav Ankur
Jhare Sab Pile Paat Koyal Ki Kuhuk Raat
Praachi Me Arunim Ki Rekh Dekh Pata Hun
Git Naya Gaata Hun
Tute Hue Sapanon Ki Kaun Sune Sisaki
Antar Ki Chir Vyatha Palakon Par Thithaki
Haar Nahin Maanunga, Raar Nahin Thaanunga,
Kaal Ke Kapaal Pe Likhata Mitaata Hun
Git Naya Gaata Hun