हंसा जगमग जगमग होइ

हंसा जगमग जगमग होइ लिरिक्स

 
हंसा जगमग जगमग होइ लिरिक्स Hansa Jagmag Hoyi Lyrics

बिनु बादल जहँ बिजुली चमकै, अमृत वर्षा होइ ।
ऋषि मुनि देव करे रखवाली, पिवै न पावे कोई ।।

रात दिवस जहां अनहद बाजै, धुनि सुनी आनंद होइ ।
ज्योति बरे सहिबकै निसु दिन , तकि तकि रहत समोई।।

सार शब्द की धुनि उठत है , बुझै बिरला कोई ।
झरना झरै जूह के नाके , पियत अमर पद होइ ।।

साहिब कबीर मिलै विदेही , चरनन भक्त समोई ।
चेतनवाला चेत पियारे, नही तो जात बहोइ ।।
 
"बिनु बादल जहँ बिजुली चमकै, अमृत वर्षा होइ।
ऋषि मुनि देव करे रखवाली, पिवै न पावे कोई।।"

यहाँ कबीर एक ऐसे आध्यात्मिक क्षेत्र का वर्णन करते हैं जहाँ बिना बादल के बिजली चमकती है और अमृत की वर्षा होती है। यह स्थान इंद्रियों से परे है, जहाँ ऋषि, मुनि, और देवता भी पहरेदारी करते हैं, लेकिन उस अमृत को पी नहीं पाते। यह आत्मज्ञान की उच्च अवस्था का प्रतीक है, जिसे साधारण व्यक्ति प्राप्त नहीं कर सकता।

"रात दिवस जहां अनहद बाजै, धुनि सुनी आनंद होइ।
ज्योति बरे सहिबकै निसु दिन, तकि तकि रहत समोई।।"

इस दोहे में कबीर उस दिव्य ध्वनि (अनहद नाद) की बात करते हैं जो दिन-रात निरंतर गूंजती रहती है। इस ध्वनि को सुनकर आत्मा आनंदित होती है। साहिब (ईश्वर) की ज्योति दिन-रात जलती रहती है, जिसे ध्यानमग्न साधक निरंतर निहारते रहते हैं और उसमें लीन हो जाते हैं।

"सार शब्द की धुनि उठत है, बुझै बिरला कोई।
झरना झरै जूह के नाके, पियत अमर पद होइ।।"

कबीर कहते हैं कि सार शब्द (दिव्य ध्वनि) की धुन उठती है, लेकिन इसे बहुत कम लोग समझ पाते हैं। जूह (मस्तिष्क) के नाके (नाक) से झरना (दिव्य रस) झरता है, जिसे पीकर अमर पद (मोक्ष) प्राप्त होता है।

"साहिब कबीर मिलै विदेही, चरनन भक्त समोई।
चेतनवाला चेत पियारे, नही तो जात बहोइ।।"

अंत में, कबीर कहते हैं कि विदेही (शरीर से परे) साहिब (ईश्वर) से मिलन होता है, जब भक्त उनके चरणों में समर्पित हो जाता है। हे प्रिय, चेतन (सजग) रहो, नहीं तो यह अवसर हाथ से निकल जाएगा। इस प्रकार, कबीर इस पद में आत्मज्ञान, दिव्य ध्वनि, और ईश्वर से मिलन की गूढ़ आध्यात्मिक अवस्थाओं का वर्णन करते हैं, जो साधना और समर्पण से ही प्राप्त होती हैं।



हंसा जगमग जगमग होइ

हंसा जगमग जगमग होइ | Hansa Jagmag Jagmag Hoi । Vihangam Yoga Bhajan
hansa jagamag jagamag hoi.

binu baadal jahan bijulee chamakai, amrt varsha hoi .
rshi muni dev kare rakhavaalee, pivai na paave koee ..
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