जय जय सुरनायक जन सुखदायक भजन लिरिक्स Jay Jay Surnayak Jan Sukhdayak Bhajan Lyrics

जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता,
गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिंधुसुता प्रिय कंता,
पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम न जानइ कोइ,
जो सहज कृपाला दीनदयाला करउ अनुग्रह सोइ,

गायक : Prem Prakash Dubey
श्रेणी : श्री गणेश भजन Ganesh Bhajan

जय जय सुरनायक जन सुखदायक भजन लिरिक्स Jay Jay Surnayak Jan Sukhdayak Bhajan Lyrics Shri Ram Bhajan Lyrics in Hindi

जय जय सुरनायक जन सुखदायक भजन लिरिक्स Jay Jay Surnayak Jan Sukhdayak Bhajan Lyrics

जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता,
गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिंधुसुता प्रिय कंता,
पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम न जानइ कोइ,
जो सहज कृपाला दीनदयाला करउ अनुग्रह सोइ,

जय जय अबिनासी सब घट बासी ब्यापक परमानंदा,
अबिगत गोतीतं चरित पुनीतं मायारहित मुकुंदा,
जेहि लागि बिरागी अति अनुरागी बिगत मोह मुनिबृंदा,
निसि बासर ध्यावहिं गुनगन गावहिं जयति सच्चिदानंदा

जेहिं सृष्टि उपाई त्रिबिध बनाई संग सहाय न दूजा,
सो करउ अघारी चिंत हमारी जानिअ भगति न पूजा,
जो भव भय भंजन मुनि मन रंजन गंजन बिपति बरूथा,
मन बच क्रम बानी छाङि सयानी सरन सकल सूरजूथा,

सारद श्रुति सेषा रिषय असेषा जा कहुँ कोउ नहिं जाना,
जेहिं दीन पिआरे बेद पुकारे द्रवहु सो श्रीभगवउाना,
भव बारिधि मंदर सब बिधि सुंदर गुनमंदिर सुखपुंजा,
मुनि सिध्द सकल सुर परम भयातुर नमत नाथ पद कंजा,

जानि सभय सुरभूमि सुनि बचन समेत सनेह,
गगनगिरा गंभीर भइ हरनि सोक संदेह,




Jai Jai Surnayak | Ramcharitmanas | जय जय सुरनायक | Ram Bhajan | Prem Prakash Dubey

जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता।
गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिंधुसुता प्रिय कंता॥
पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम न जानइ कोई।
जो सहज कृपाला दीनदयाला करउ अनुग्रह सोई॥


भावार्थ-
जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता।
हे देवताओं के स्वामी, सेवकों को सुख देनेवाले, शरणागत की रक्षा करने वाले भगवान! आपकी जय हो! जय हो!!

गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिंधुसुता प्रिय कंता।
हे गो-ब्राह्मणों का हित करने वाले, असुरों का विनाश करने वाले, समुद्र की कन्या (लक्ष्मी) के प्रिय स्वामी! आपकी जय हो!

पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम न जानइ कोई।
हे देवता और पृथ्वी का पालन करने वाले! आपकी लीला अद्भुत है, उसका भेद कोई नहीं जानता।

जो सहज कृपाला दीनदयाला करउ अनुग्रह सोई।
ऐसे जो स्वभाव से ही कृपालु और दीनदयालु हैं, वे ही हम पर कृपा करें।

मीनिंग/भावार्थ:
इस भजन में भगवान श्री राम जी की स्तुति की गई है। प्रथम श्लोक में भगवान श्री राम को देवताओं का स्वामी, सेवकों को सुख देनेवाला और शरणागत की रक्षा करने वाला बताया गया है। दूसरे श्लोक में भगवान श्री राम को गो-ब्राह्मणों का हित करनेवाला, असुरों का विनाश करनेवाला और समुद्र की कन्या (लक्ष्मी) का प्रिय स्वामी बताया गया है। तीसरे श्लोक में भगवान राम की लीला को अद्भुत बताया गया है, जिसे कोई नहीं जानता। चौथे श्लोक में भगवान श्री राम जी से प्रार्थना की गई है कि वे स्वभाव से ही कृपालु और दीनदयालु हैं, इसलिए वे हमारे ऊपर कृपा करें।

यह भजन भगवान श्री राम की भक्ति और उनके कृपालु स्वभाव को दर्शाता है। यह भजन हमें यह सिखाता है कि हमें हमेशा भगवान श्री राम की शरण में रहना चाहिए और उनसे प्रार्थना करनी चाहिए कि वे हमें उनके कृपा से भर दें।
इस स्तुति में, तुलसीदास भगवान विष्णु की स्तुति करते हैं। वे उन्हें "सुरनायक", "जन सुखदायक", "प्रनतपाल भगवंता" आदि नामों से संबोधित करते हैं। वे भगवान श्री राम को गो और ब्राह्मणों का हित करने वाला, राक्षसों का नाश करने वाला, समुद्र से उत्पन्न होने वाला, सीता का प्रिय पति आदि बताते हैं। वे उन्हें "अविनाशी", "सब घटों में रहने वाला", "परमानंद का सागर", "माया रहित", "मुनिओं का प्रियतम", "संसार के कष्टों को दूर करने वाला", "सत्य और ज्ञान का आगार" आदि विशेषणों से भी वर्णित करते हैं।

वे भगवान विष्णु से प्रार्थना करते हैं कि वे उनकी चिंताओं को दूर करें और उनकी रक्षा करें। वे उन्हें भक्ति और पूजा के लिए प्रेरित करते हैं। वे भगवान विष्णु को "भव भय भंजन", "मुनि मन रंजन", "गंजन बिपति बरूथा" आदि विशेषणों से भी वर्णित करते हैं।

अंत में, वे भगवान श्री राम की स्तुति करते हुए कहते हैं कि उन्हें "सारद श्रुति", "ऋषियों", "वेदों" आदि सभी ने स्वीकार किया है। वे उन्हें "भव बारिधि मंदर", "गुनमंदिर सुखपुंजा" आदि विशेषणों से भी वर्णित करते हैं।

इस स्तुति में, तुलसीदास भगवान श्री राम जी की सर्वव्यापीता, सर्वशक्तिमानता और सर्वकल्याणकारीता पर बल देते हैं। वे उन्हें संसार के सभी प्राणियों का रक्षक और पालनहार बताते हैं।
 
Jay Jay Suranaayak Jan Sukhadaayak Pranatapaal Bhagavanta,
Go Dvij Hitakaaree Jay Asuraaree Sindhusuta Priy Kanta,
Paalan Sur Dharanee Adbhut Karanee Maram Na Jaani Koi,
Jo Sahaj Krpaala Deenadayaala Karu Anugrah Soi,

Jay Jay Abinaasee Sab Ghat Baasee Byaapak Paramaananda,
Abigat Goteetan Charit Puneetan Maayaarahit Mukunda,
Jehi Laagi Biraagee Ati Anuraagee Bigat Moh Munibrnda,
Nisi Baasar Dhyaavahin Gunagan Gaavahin Jayati Sachchidaananda

Jehin Srshti Upaee Tribidh Banaee Sang Sahaay Na Dooja,
So Karu Aghaaree Chint Hamaaree Jaani Bhagati Na Pooja,
Jo Bhav Bhay Bhanjan Muni Man Ranjan Ganjan Bipati Barootha,
Man Bach Kram Baanee Chhaani Sayaanee Saran Sakal Soorajootha,

Saarad Shruti Sesha Rishay Asesha Ja Kahun Kou Nahin Jaana,
Jehin Deen Piaare Bed Pukaare Dravahu So Shreebhagavauaana,
Bhav Baaridhi Mandar Sab Bidhi Sundar Gunamandir Sukhapunja,
Muni Sidhd Sakal Sur Param Bhayaatur Namat Naath Pad Kanja,

Jaani Sabhay Surabhoomi Suni Bachan Samet Saneh,
Gaganagira Gambheer Bhi Harani Sok Sandeh,

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